अगला राष्ट्रपति कौन:भाजपा को किसी मदद की जरूरत नहीं

अगले महीने राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है लेकिन अभी तक कोई वास्तविक तैयारी या जोड़-तोड़ होता नहीं दिख रहा है। इसका एकमात्र कारण यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में किसी उलटफेर की कोई संभावना नहीं है। भारतीय जनता पार्टी जिसका नाम तय करेगी वह राष्ट्रपति बनेगा। अपना उम्मीदवार जिताने के लिए भाजपा को किसी मदद की जरूरत नहीं। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के पास पर्याप्त वोट हैं। मौजूदा स्थिति के मुताबिक एनडीए के पास पांच लाख 31 हजार से कुछ ज्यादा वोट हैं और उसे महज 18 हजार वोट का इंतजाम करना है, जो उसके प्रति सद्भाव रखने वाली किसी एक या दो प्रादेशिक पार्टी के समर्थन से हो जाएगा।

किसी प्रादेशिक पार्टी का समर्थन मांगने के लिए भी भाजपा को जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सामान्य परंपरा रही है कि जिस राज्य के नेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है उस राज्य की विपक्षी पार्टियों का वोट भी उसे मिलता है। इसलिए राष्ट्रपति उम्मीदवार के चेहरे पर इतने वोट मिल जाएंगे, जितने कम पड़ रहे हैं। वैसे भी कम से कम दो प्रादेशिक क्षत्रप- जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक भाजपा के चुने हुए उम्मीदवार की मदद के लिए तैयार हैं। यहीं वजह है कि भाजपा के नेता ज्यादा भागदौड़ नहीं कर रहे हैं।

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले इलेक्टोरल कॉलेज में सभी सांसद और सभी विधानसभाओं के सदस्य शामिल हैं, जिनके वोट का मूल्य 10 लाख 98 हजार के करीब होता है। चुनाव जीतने के लिए पांच लाख 49 हजार से कुछ ज्यादा वोट की जरूरत होती है। मौजूदा स्थिति के हिसाब से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के 335 लोकसभा और 107 राज्यसभा सदस्य हैं। एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है। इस लिहाज से इलेक्टोरल कॉलेज के तीन लाख 13 हजार मूल्य के वोट सिर्फ संसद के हैं।

अलग अलग राज्यों में आबादी के हिसाब से वहां के चुने हुए विधायकों के वोट का मूल्य होता है। सबसे ज्यादा मूल्य उत्तर प्रदेश के विधायकों का होता है, जहां भाजपा के अपने ढाई सौ से ज्यादा विधायक हैं। इसके बाद महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। राज्यों के करीब 43 सौ विधायकों में से भाजपा के अपने 15 सौ से कुछ ज्यादा विधायक हैं और एनडीए के विधायकों की संख्या 17 सौ से ज्यादा है, जिनके वोट का मूल्य दो लाख 18 हजार से कुछ ज्यादा होता है। इस तरह इलेक्टोरल कॉलेज में उसके पास अपने पांच 31 हजार वोट हैं। सो, 18 हजार वोट के इंतजाम के लिए उसे उम्मीदवार के नाम पर समझौता करने की जरूरत नहीं है। इससे करीब दोगुने वोट अकेले जगन मोहन रेड्डी के पास हैं। ध्यान रहे जगन के 22 सांसद और 151 विधायक हैं और वे खुल कर भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। इसलिए भाजपा को किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है और न कोई समझौता करने की जरूरत है।

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