महिला आरक्षण बिल – राजस्थान में अब भी भाजपा और कांग्रेस ने दस प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं को टिकट नहीं दिया
जयपुर। नई संसद में विशेष सत्र के पहले दिन महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई। सत्ता और विपक्ष में इस मुद्दे पर खूब बहस भी हुई, लेकिन असर क्या हुआ? इस सवाल का जवाब आपको मौजूदा विधानसभा में घोषित महिला प्रत्याशियों को देखकर मिल जाएगा। महिला आरक्षण बिल के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है। राजस्थान में हो रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दस प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं को टिकट नहीं दिया है। यह आंकड़े बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियों का महिला आरक्षण को लेकर क्या रुख है? सवाल यह है कि महिला आरक्षण भी क्या सिर्फ एक चुनावी मुद्दा है।
राजस्थान में भाजपा ने कुल 20 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है। इसमें भी अनुसूचित जाति की महिलाएं अधिक हैं। इसके बाद ओबीसी और फिर सामान्य में राजपूत, ब्राह्मण और वैश्य हैं। इसी तरह से कांग्रेस ने कुल 17 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसमें भी अनुसूचित जाति और ओबीसी की महिलाओं की संख्या ज्यादा है। बहरहाल महिला आरक्षण पर इतनी बहस के बावजूद भाजपा और कांग्रेस ने महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरती है। इससे लगता है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए महिला आरक्षण सिर्फ एक चुनावी मुद्दा है। 33 प्रतिशत आरक्षण के मुताबिक दोनों ही राजनीतिक पार्टियों को 66-66 महिलाओं को टिकट देना चाहिए था, लेकिन यह आंकड़ा 20 से अधिक नहीं पहुंच सका।
बात अगर देश की अलग-अलग विधानसभाओं की करें तो वहां भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। किसी भी राज्य की विधानसभा में 15 प्रतिशत से अधिक महिला विधायक नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 14.44 पर्सेंट महिला विधायक हैं. वहीं, नगालैंड और मिजोरम दो ऐसी विधानसभाएं हैं जहां एक भी महिला सदस्य नहीं है।
लोकसभा और राज्यसभा की अभी की तस्वीर
बात लोकसभा की करें तो इसमें अभी 78 महिला सांसद हैं, जो 14 प्रतिशत होता है। राज्यसभा में 29 महिला सांसद हैं और यह 12 पर्सेंट है। अगर यह बिल पास होता है तो अगले साल चुनाव के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 180 हो जाएगी।