विधान सभा अध्यक्ष ने कहा विधायकों को दो दिन का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से करायें
—नियम 269 को कंठस्थ कराये प्रशिक्षण में शामिल नहीं होने वाले विधायकों को बोलने का मौका न देने पर विचार किया जायें
जयपुर। राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बुधवार को सदन में संसदीय कार्य मंत्री और नेता प्रतिपक्ष से कहा कि विधायकों का दो दिन का प्रशिक्षण कराये। सदन के सुव्यवस्थित संचालन के लिये विधायकों का प्रशिक्षण कराया जाना आवश्यक है ताकि नियमों, मर्यादाओं और परम्पराओं का निर्वहन हो सकें। उन्होने कहा कि इस प्रशिक्षण में विधायकों की उपस्थिति को अनिवार्य करें। जो विधायक इस प्रशिक्षण में शामिल नहीं हो उनको बोलने का मौका न दिया जाने पर विचार किया जायें।
देवनानी ने कहा कि सदन की मर्यादाओं और नियमावली का विधायकों को कंठस्थ करायें, ताकि सदन का संचालन व्यवस्थित रूप से हो सकें। उन्होंने कहा कि सदन नियमों और परम्पराओं से चलता है। देवनानी ने कहा कि इस पवित्र सदन में जनता ने विधायकगण को चुनकर भेजा है। यहाँ की कुछ मर्यादाऐं है, यहाँ के कुछ नियम है। जनता की हमसे बहुत कुछ अपेक्षाएँ है। श्री देवनानी ने कहा कि सभी विधायकगण को सदन में नियमों का पालन करना होगा।
देवनानी ने विधायकगण से कहा कि वे सभी राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के नियम 269 को पढ़ें और उन नियमों को अमल में लाये। इससे सदन की गरिमा बनेगी और आमजन में अच्छा संदेश जायेगा। उन्होंने कहा कि इस नियम को सदस्यगण पढकर आयेंगे तो सदन को चलाने में सुविधा रहेंगी और सदन की गरिमा भी बनी रहेंगी। श्री देवनानी ने कहा कि सदन में बैठते और उठतें समय शिष्टाचार का ध्यान रखें।
देवनानी ने कहा कि सदस्यगण जो एक-दूसरे की सीट पर जाकर बातचीत करते है, उस पर भी स्वंय अपने आप पर रोक लगायें। किसी सदस्यगण को किसी मंत्रीगण से मिलना है, तो उनके कमरों में जाकर मिले। सदन की व्यवस्था को बनाये रखने में सभी सहयोग करें। श्री देवनानी ने सदस्यों से अनुरोध किया कि सदन के नियमों का पालन करें।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर सोलहवीं राजस्थान विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में एक दिवस का प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी विभिन्न विषयों पर विषय विषयज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान करायी गई थी। इस प्रबोधन कार्यक्रम को कराये जाने के पीछे अध्यक्ष श्री देवनानी की यह मंशा थी कि विधायकगण विशेषकर पहली बार निर्वाचित होकर आये विधायकगण को उनके संसदीय दायित्वों के निर्वहन की जानकारी मिल सकें।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान विधानसभा के प्रकिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 269 के तहत सदन में उपस्थित रहते समय सदस्यों द्वारा पालनीय नियमों का उल्लेख किया गया है। इसमें दिये गये बिन्दूओं के अनुसार जब सदन की बैठक हो रही हो तो कोई भी सदस्य ऐसी पुस्तक, समाचार-पत्र या पत्र नहीं पढ़ेगा जिसका सदन की कार्यवाही से सम्बन्ध न हो, किसी सदस्य के भाषण करते समय उसमें अव्यवस्थित बात या शोर या किसी अन्य अव्यवस्थित रीति से बाधा नहीं डालेगा, सदन में प्रवेश करते समय या सदन के बाहर जाते समय और अपने स्थान पर बैठते समय या वहां से उठते समय भी अध्यक्ष-पीठ के प्रति नमन करेगा, अध्यक्ष-पीठ और ऐसे सदस्य के बीच में से नहीं गुजरेगा जो भाषण दे रहे हो, जब अध्यक्ष सदन को सम्बोधित कर रहे हो तो सदन से बाहर नहीं जायेगा, या सदन में प्रवेश नहीं करेगा, अथवा सदन में इधर-उधर नहीं जायेगा, सदैव अध्यक्ष-पीठ को ही सम्बोधित करेगा, सदन को सम्बोधित करते समय अपने सामान्य स्थान पर ही रहेगा, जब सदन में नहीं बोल रहा हो तो शांत रहेगा, कार्यवाही में रुकावट नहीं डालेगा या बाधा नहीं डालेगा और जब सदन में भाषण दिये जा रहे हों तो साथ-साथ उनकी टीका नहीं करेगा, जब किसी दीर्घा में अथवा राज्यपाल प्रकोष्ठ में कोई प्रवेश करें तो प्रशंसा घोष नहीं करेगा, भाषण करते समय किसी दीर्घा में बैठे हुए के प्रति कोई निर्देश नहीं करेगा, सदन में धूम्रपान नहीं करेगा अथवा पानी अथवा अन्य किसी पेय का उपयोग नहीं करेगा या कोई चीज नहीं खायेगा, सदन में हथियार, लकड़ी अथवा छाता नहीं लायेगा और सदन में नींद नहीं लेगा।