सौम्या गुर्जर मेयर पद से बर्खास्त
जयपुर: राजधानी जयपुर से इस समय की बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां सीएम कुर्सी के सियासी घटनाक्रम के बीच शहरी सरकार मुखिया सौम्या गुर्जर को गहलोत सरकार ने बर्खास्त कर दिया है.
नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के खिलाफ राज्य सरकार बड़ा एक्शन लिया है. सरकार ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद लिया है.
सुप्रीम कोर्ट का स्टे हटने के साथ डॉ. सौम्या गुर्जर पर गाज गिर चुकी है. डॉ. सौम्या गुर्जर को मेयर पद से बर्खास्त कर दिया गया है. सरकार ने न्यायिक जांच में दोषी मानते हुए आदेश निकाले हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिन पहले राज्य सरकार को फ्री हैंड किया था. न्यायिक जांच के आधार पर नियमानुसार कार्रवाई के लिए सरकार स्वतंत्र है.
यह है पूरा विवाद और यूं चला पूरा घटनाक्रम-
– 4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ. कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हो गई. कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया.
– 5 जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रीय निदेशक को सौंप दी.
– 6 जून को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी.
– 7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया.
– सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया.
– जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की.
– 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी.
– 11 अगस्त 2022 को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया.
– 22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है. इन पार्षदों को भी सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है.
– इसके बाद सरकार ने 23 सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामल की जल्द सुनवाई की मांग की.
– 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.
– 27 सितम्बर- सुप्रीम कोर्ट का स्टे खारिज होने के साथ ही डॉ सौम्या गुर्जर को राज्य सरकार ने मेयर और पार्षद पद से बर्खास्त किया और 6 साल तक चुनाव पर रोक लगा दी.