सांसद आदर्श ग्राम योजना – राजस्थान के सांसदों का फिसड्डी रिपोर्ट कार्ड, 5 साल में सिर्फ 41.72% कार्य ही पूरे करवा पाए
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार बना चुकी है। अब लोकसभा चुनाव बिल्कुल सिर पर पर हैं। इसके लिए पार्टी ने मिशन-25 पर कार्य करना शुरू कर दिया है। लेकिन, अगर भाजपा के सभी 25 सांसदों का रिपोर्ट कार्ड देखें तो अपने क्षेत्र विकास कार्यों को लेकर काफी फिसड्डी साबित हुए हैं। संभवतः इसीलिए केंद्रीय नेतृत्व ने 7 सांसदों को तो पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ाकर लोकसभा की रेस से बाहर कर दिया है। अब कई सांसद टिकट की रेस से भी बाहर हो सकते हैं। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व आयु औऱ कार्यकाल को लेकर गाइड लाइन बनाने में जुटा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विकास कार्यों और योजनाओं को लेकर मोदी की गारंटी के नाम पर आत्म प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। लेकिन, अगर बात करें, राजस्थान में सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की स्थिति की तो वर्ष 2019 से 16 जनवरी 2024 तक के आंकड़ों में सांसदों का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं है। अगर कुल आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ 41.72 फीसदी कार्य ही चयनित 108 ग्राम पंचायतों में पूरे करवा पाए हैं।
जबकि सांसद आदर्श ग्राम योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इसमें प्रत्येक सांसद को एक साल में एक गांव गोद लेना होता है। उसमें विभिन्न विभागों औऱ योजनाओं के माध्यम से विकास कार्य करवाकर उसे आदर्श बनाना होता है। बता दे कि सांसद आदर्श ग्राम योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक अनूठी पहल है। साथ ही इस योजना शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को की गई थी। लेकिन राजस्थान में सांसद इस योजना के उद्देश्य पर खरे नहीं उतर सके हैं।
ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में वर्ष 2019-20 में सांसदों ने कुल 30 ग्राम पंचायतों का चयन किया था। इनके लिए 1202 कार्य स्वीकृत किए गए थे। लेकिन अब तक सिर्फ 544 कार्य ही पूरे हो सके है, 89 योजनाएं प्रोग्रेस में है। जबकि 569 कार्य अभी शुरू हुए है। इस तरह इस वर्ष का आंकड़ा सिर्फ 45.26 फीसदी रहा है।
इसी तरह अगर वर्ष 2020-21 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो इस वर्ष यहां के सांसदों ने 22 ग्राम पंचायतों का चयन किया। इन ग्राम पंचायतों में कुल 759 कार्य स्वीकृत किए गए। लेकिन अभी तक 398 कार्य पूरे हो सके हैं। जबकि 117 कार्य प्रोग्रेस में है, साथ ही 244 अभी शुरू हुए है। इस तरह इस वर्ष का रिपोर्ड कार्ड सिर्फ 52.44 फीसदी रहा।
अब बात करें वर्ष 2021-22 वर्ष के आंकड़ों की तो, इस वर्ष महज 16 ग्राम पंचायतों का चयन सांसदों ने किया। इस दौरान 718 कार्य योजनाएं स्वीकृत की गई, लेकिन सिर्फ अब तक 213 ही कार्य पूरे सके है, जबकि 79 कार्य प्रोग्रेस में है, साथ ही 426 कार्य अब जाकर शुरु हुए है। इसके चलते इस वर्ष का कार्य पूरा होने का प्रतिशत 29.67 फीसदी रहा।
वहीं वर्ष 2022-23 के दौरान राजस्थान में सांसदों ने 23 ग्राम पंचायतों का चयन किया। इन ग्राम पंचायतों के लिए 1074 कार्य स्वीकृत किए गए। लेकिन अभी तक सिर्फ 462 कार्य ही पूरे हो सके है, जबकि 141 कार्य प्रोग्रेस में हैं, जबकि 471 कार्य अभी शुरु हुए है। इस तरह वर्ष 2022-23 के दौरान 43.02 प्रतिशत रहा।
अब सांसदों के आखिरी कार्यकाल के यानी वर्ष 2023-24 की बात करें तो इस वर्ष महज 17 ग्राम पंचायतें चयन की गई। इन ग्राम पंचायतों में 430 कार्य योजनाएं ग्राम पंचायतों के लिए स्वीकृत की गई। लेकिन सिर्फ 128 कार्य ही पूरे सके है। जबकि 45 कार्य प्रोग्रेस में है, और 257 कार्य अभी शुरु हुए है। इस तरह इस वर्ष कार्य पूरे होने का प्रतिशत 29.77 फीसदी रहा ।
वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव भले ही भाजपा ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था और तुष्टिकरण के आरोप लगाकर जीत लिया हो, लेकिन अब मिशन 25 को लेकर भाजपा के सांसदों का यह रिपोर्ट कार्ड लोकसभा चुनाव में उल्टा पड़ सकता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्यः
देश के गांवों को विकास की मुख्य धारा में लाना।
कमजोर और गरीब लोगों को अच्छा जीवन जीने में सक्षम बनाना।
ग्रामीणों को सामाजिक और आर्थिक न्याय की गारंटी देना।
गांव के लोगों को बेहतर आजीविका के अवसर देना।