धार्मिक संत राजनेताओं की तुलना में हमारे अधिक करीब: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि अगर भारत को भारत के रूप में रहना है, तो हमें वह बनना होगा जो हम हैं।

भागवत ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिला स्थित शिव शरण मदारा चेन्नैया मठ में दलित समुदाय और पिछड़े वर्गों के धार्मिक संतों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “अगर ऐसा नहीं होता है, तो भारत वह नहीं होगा, जो वह है। देश में हर जगह धर्म की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

उन्होंने जोर देकर कहा, “धार्मिक धर्मांतरण से आपस में अलगाव हो जाएगा। जो लोग धर्मांतरित हो जाते हैं वे बहुत दूर चले जाते हैं। हमें धर्म परिवर्तन को रोकने की जरूरत है।”

भागवत ने यह भी कहा कि संघ राजनीति के बजाय खुद को आध्यात्मिकता और धार्मिकता से जोड़ता है।

उन्होंने कहा, “इसीलिए धार्मिक संत राजनेताओं की तुलना में हमारे अधिक करीब हैं।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हमारे समाज में, कुछ वर्ग पिछड़े रह गए हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कनेक्शन काट दिया गया था। हिंदू धर्म के सभी वर्गों को अच्छी स्थिति में रखना हमारा कर्तव्य है। इसे बार-बार एकजुट होने से ही प्राप्त किया जा सकता है। यही सद्भावना का प्रतीक है, और संघ ये प्रयास कर रहा है।”

भागवत ने कहा, “अगर हम अक्सर मिलेंगे, तो आपसी जागरूकता अधिक होगी और यह विश्वास और संदेह की कमी को दूर करेगा। आरएसएस, धार्मिक मठों और संतों को बार-बार एक साथ आना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि अस्पृश्यता, असमानता और घृणा की बुराइयां हमारे मन में निहित हैं।

उन्होंने कहा, “धार्मिक शास्त्रों में कोई समस्या नहीं है। ये बुराइयां सदियों से हमारे मन में बसी हुई हैं और इसे ठीक करने में कुछ समय लगेगा। हमें धैर्य रखना चाहिए। यह निश्चित रूप से होने वाला है और हम इस पर कायम हैं।”

भागवत ने जोर देकर कहा कि समाज को बड़ों और महिलाओं का सम्मान करने जैसे शिष्टाचार पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा, “नई पीढ़ी को इन गुणों को सिखाना होगा। आधुनिक शिक्षा छात्रों को शिक्षित होने में मदद कर रही है, लेकिन वे अक्सर शिष्टाचार के बारे में भूल जाते हैं।”

उन्होंने धर्मगुरुओं से सेवा और शिष्टाचार पर आधारित समाज का निर्माण करने का आग्रह करते हुए कहा, “चाहे जो भी चुनौती हो, आरएसएस आपके साथ है। हमारे पास काम करने का एक तरीका है और हम उसी के आधार पर काम करेंगे।”

भागवत ने कहा, “हम आपके साथ हैं, इसलिए नहीं कि हम एक संगठन हैं, बल्कि इसलिए कि यह हमारा कर्तव्य है। इसलिए संघ को जानने का प्रयास करें। हम सभी हिंदू धर्म का हिस्सा हैं।”

भागवत सोमवार की रात चित्रदुर्ग स्थित शिव शरण मदारा चेन्नैया मठ पहुंचे थे और उन्होंने संत बसवमूर्ति मदारा चेन्नैया श्री से मुलाकात की थी।

भागवत के इस दौरे ने राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है और ये घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है, जब कर्नाटक में अगले साल ही चुनाव होने हैं।

कई लोग आरएसएस प्रमुख के इस कदम को पिछड़े और उत्पीड़ित वर्गों को भाजपा के समर्थन में करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।

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