राजस्थान कारागार विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित – राज्य की 96 प्रतिशत जेलों में वीसी के माध्यम से पेशी की सुविधा उपलब्ध

जयपुर। प्रदेश के कारागार मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश की जेलों में बंदियों के लिए व्यवस्थाओं को मजबूत बनाना राज्य सरकार का ध्येय है। बंदियों के लिए सुधारात्मक उपबंध, मूलभूत मानवाधिकारों के हक, उनके कौशल विकास एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान कारागार विधेयक – 2023 लाया गया है।

जूली मंगलवार को विधान सभा में राजस्थान कारागार विधेयक – 2023 पर हुई चर्चा के बाद अपना जवाब दे रहे थे। ​विधेयक पर हुई चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। कारागार मंत्री ने विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में राज्य में 129 वर्ष पुराना प्रशासन एवं प्रबंधन कारागार अधिनियम – 1894 एवं 63 वर्ष पुराना राजस्थान बंदी अधिनियम – 1960 प्रभावी हैं।

इन अधिनियमों में समय-समय पर किये गए विभिन्न संशोधनों को एकजाई कर राजस्थान कारागार विधेयक – 2023 लाया गया है। यह विधेयक बंदियों के साथ ही जेलों में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए कार्य करेगा। कारागार मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा बंदी सुधार के लिए विभिन्न नवाचार किये जा रहे हैं, ताकि सजा पूरी होने के बाद उन्हें रोजगार मिल सके।

खुला बंदी शिविर, कौशल विकास कार्यक्रम एवं जेलों में पेट्रोल पम्प खोलना इस दिशा में किये गए महत्वपूर्ण नवाचार हैं। खुले शिविर के मामले में राजस्थान पूरे देश में पहले स्थान पर है। देश के लगभग 40 प्रतिशत खुले बंदी शिविर राजस्थान में हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जेलों में बंदियों द्वारा एलईडी बल्ब बनाये जा रहे हैं, जो बाजार से कम दाम पर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही डूंगरपुर एवं झालावाड़ में नई जेलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

जूली ने बताया कि जेलों में सुविधाओं का विस्तार तीव्र गति से किया जा रहा है। प्रदेश की 96 प्रतिशत जेलों में वीसी के माध्यम से पेशी की सुविधा उपलब्ध है और जल्द ही शेष जेलों में भी यह सुविधा स्थापित कर ली जाएगी। साथ ही, जेलों में सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासनिक, पुलिस एवं न्यायिक अधिकारियों द्वारा निरन्तर निरीक्षण किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लापरवाही पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों-कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही भी की जा रही है। ऐसे कुछ मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों को निलम्बित एवं बर्खास्तगी की कार्यवाही भी की गई है। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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