राजस्थान विधानसभा चुनाव – पार्टी नेताओं के रवैये से परेशान है भाजपा आलाकमान
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटा भाजपा आलाकमान, प्रदेश भाजपा में व्याप्त गुटबाजी और प्रदेश से जुड़े भाजपा नेताओं के रवैये से काफी नाराज है। पार्टी आलाकमान, यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं पिछले लंबे समय से लगातार प्रदेश भाजपा में व्याप्त गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।इन्हीं कोशिशों के तहत पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष में भी बड़ा बदलाव करते हुए सभी गुटों को स्वीकार्य लोक सभा सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दिल्ली से जयपुर भेजा। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सीपी जोशी लगातार प्रदेश भाजपा के सभी गुटों के नेताओं को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं और इसी का यह नतीजा है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में संगठन से अलग-थलग नजर आने वाली राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में सक्रिय होती नजर आई, लेकिन प्रदेश के कई अन्य नेताओं के रवैये से पार्टी आलाकमान अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के एक साथ आने ने भाजपा की राजनीतिक समस्या और ज्यादा बढ़ा दिया है। पार्टी नेताओं की गुटबाजी का खामियाजा कर्नाटक में भुगत चुकी भाजपा राजस्थान को लेकर अब कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेताओं के रवैये से नाराज भाजपा आलाकमान ने इस बार राजस्थान के नेताओं को दो टूक शब्दों में गुटबाजी खत्म कर सभी बड़े नेताओं को पूरा सम्मान देते हुए एक साथ मिलकर चुनाव में जुट जाने की नसीहत देने की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष को दी।
बीएल संतोष ने हाल ही में प्रदेश के सवाईमाधोपुर में आयोजित विजय संकल्प बैठक में मौजूद पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए दो टूक शब्दों में यह नसीहत दी कि भाजपा को प्रदेश में सरकार बनानी है, राजस्थान बहुत महत्वपूर्ण राज्य है और इसलिए सभी नेताओं को आपस में गिले-शिकवे दूर कर विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाना चाहिए। बताया जा रहा है कि बीएल संतोष ने कुछ नेताओं के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए यह कहा कि संगठन के किसी भी नेता की अनदेखी ठीक नहीं है और प्रदेश में सभी को एकजुट होकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार को विधान सभा चुनाव में हराने के लिए जुट जाना चाहिए।
दरअसल, तमाम विरोध के बावजूद राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा कद है, लेकिन भाजपा के कई नेता उन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो देने को तैयार नजर नहीं आते हैं और इसी वजह से प्रदेश भाजपा में नेताओं के कई गुट बन चुके हैं, जो पार्टी आलाकमान की परेशानी को बढ़ा रहे हैं।