महिला आरक्षण पर पार्टियों की पोल खुली

पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव चार चरण में हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान हो गया है और अब आखिरी चरण तक के मतदान के लिए नामांकन दाखिल करने का काम पूरा हो गया है। पांच राज्यों में 679 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है, जिनमें से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की 520 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। बाकी दोनों राज्यों में भी दोनों पार्टियां लड़ रही हैं। इनमें से एक पार्टी भाजपा है, जिसने महिला आरक्षण का कानून पास कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसके बाद से ही इस बात का प्रचार कर रहे है कि इतने बरसों से यह बिल लंबित था लेकिन भगवान ने उनको चुना कि वे इसे कानून बनाएं। दूसरी ओर कांग्रेस है, जिसके नेता दावा कर रहे हैं उन्होंने 2011 में जो कानून राज्यसभा से पास कराय था वही कानून भाजपा ले आई है। इस तरह वह श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। इस कानून में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। हालांकि इस कानून में कई शर्तें लगा दी गई हैं, जिससे यह आने वाले कई सालों में लागू नहीं हो पाएगा।

तभी यह उम्मीद की जा रही थी कि जब तक जनगणना और परिसीमन का काम नहीं हो जाता है और महिला आरक्षण कानून लागू नहीं हो जाता है तब तक दोनों पार्टियां उसी अनुपात में महिलाओं को टिकट देंगी, जिस अनुपात में आरक्षण लागू होने के बाद देना है। लेकिन पांच राज्यों के नामांकन पूरे होने पर जो स्थिति है वह बहुत निराशाजनक है। पांचों राज्यों में भाजपा और कांग्रेस ने महिलाओं को उनकी आबादी या आरक्षण के प्रावधान के अनुपात में बहुत कम टिकट दी है। छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है, जहां भाजपा ने 15 फीसदी टिकट महिलाओं को दी है बाकी हर जगह यह 10 फीसदी के करीब है। दूसरी ओर कांग्रेस ने किसी भी राज्य में 10-12 फीसदी से ज्यादा टिकट महिलाओं को नहीं दी है। अब यह आंकड़ा देखें और नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी के भाषण सुनें फिर पता चलेगा कि इस देश के नेताओं की कथनी और करनी में कितना ज्यादा अंतर होता है।

बहरहाल, छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 14 यानी करीब 15 फीसदी टिकट महिलाओं को दी है लेकिन कांग्रेस ने महज तीन यानी टिकट दी है। यानी 33 फीसदी की जगह 3.3 फीसदी! बाकी राज्यों में भी तस्वीर ज्यादा अलग नहीं है। मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा ने 28 और कांग्रेस ने 30 यानी 12-13 फीसदी सीटें महिलाओं को दी है। राजस्थान की दो सौ सीटों में से भाजपा ने 20 यानी 10 फीसदी और कांग्रेस ने 28 यानी 14 फीसदी सीटें महिलाओं को दी हैं। तेलंगाना की 119 सीटों में भाजपा ने 14 और कांग्रेस 11 सीटें महिलाओं को दी हैं तो मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों में भाजपा ने चार और कांग्रेस ने दो सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे हैं। महिलाओं की हिस्सेदारी की इस आंकड़े से दोनों बड़ी पार्टियों की पोल खुलती है। प्रादेशिक पार्टियों में बीजद और तृणमूल को छोड़ दें तो बाकी पार्टियों का आंकड़ा इससे भी खराब होता है।

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