अब भाजपा के पास कौन सहयोगी बचा?
भाजपा की राजनीतिक ताकत जैसे जैसे बढ़ रही है वैसे वैसे उसके सहयोगी दूर होते जा रहे हैं। अब भाजपा के पास कायदे से एक भी बड़ा सहयोगी नहीं बचा है। एक-एक करके सारी बड़ी सहयोगी पार्टियां साथ छोड़ कर जा चुकी हैं। अब भाजपा के पास सिर्फ छोटी छोटी कुछ सहयोगी पार्टियां बची हैं। पिछले तीन साल में ही तीन बड़ी पार्टियों ने भाजपा का साथ छोड़ा है। उससे पहले कई बड़ी छोटी पार्टियां अलग हुईं। भाजपा ने पूर्वोत्तर में कुछ सहयोगी जरूर बनाए हैं लेकिन उनका आधार बहुत सीमित है। समूचे पूर्वोत्तर में लोकसभा की सिर्फ 25 सीटें हैं।
भाजपा का साथ छोड़ने वाले सबसे नए सहयोगी नीतीश कुमार हैं। दोनों पार्टियों के बीच करीब 25 साल का संबंध है। बीच के तीन-चार साल छोड़ दें तो 1996-97 के बाद से दोनों पार्टियां साथ थीं। लेकिन नीतीश कुमार ने धोखा देने और अपमानित करने का आरोप लगा पर गठबंधन तोड़ दिया है। इसके साथ ही राज्य की सरकार भी गिरा दी है। इससे पंजाब में भाजपा की सहयोगी अकाली दल ने गठबंधन तोड़ा था। विवादित कृषि कानूनों के मसले पर 2020 के अंत में अकाली दल ने गठबंधन तोड़ा और सरकार से बाहर निकल गई थी। उसके बाद से भाजपा ने पंजाब में उसे निपटाने की राजनीति की है।
उससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद महाराष्ट्र में भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिव सेना ने नाता तोड़ा था। शिव सेना ने भी भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगाया था। उद्धव ठाकरे ने कहा था कि भाजपा ने चुनाव से पहले उनसे वादा किया था कि दोनों पार्टियां को बीच सत्ता की साझेदारी होगी और ढाई-ढाई साल दोनों का मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन नतीजों के बाद भाजपा मुकर गई। भाजपा से अलग होकर उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ तालमेल कर लिया। अब सरकार गिरा कर भाजपा उसको निपटाने में लगी है। शिव सेना से पहले भाजपा की एक और पुरानी सहयोगी टीडीपी ने नाता तोड़ा था।
अगर छोटी पार्टियों की बात करें तो जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी, बिहार में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी और जीतन राम मांझी की पार्टी हम, उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसी अनेक पार्टियों के नाम लिए जा सकते हैं, जिनसे भाजपा का तालमेल खत्म हुआ है। अब भाजपा के पास पूर्वोत्तर में असम गण परिषद, सिक्किम क्रांति मोर्चा, एनपीपी, एनपीएफ जैसी छोटी छोटी पार्टियां हैं। इनके अलावा बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़े और झारखंड में आजसू है। तमिलनाडु में अन्ना डीएमके से जरूर भाजपा का तालमेल है लेकिन वहां भी यह पता नहीं है कि भाजपा किसके साथ है। अन्ना डीएमके दो हिस्सों में बंटी है। एक हिस्से के नेता ओ पनीरसेल्वम हैं और दूसरे के ई पलावीस्वामी। कहा जा रहा है कि भाजपा पनीरसेल्वम के साथ है, जिनके पास ज्यादा आधार नहीं बना है।