एसीबी को मंजूरी मिलने से पहले ही कई आरएएस, आरपीएस और आईएएस अधिकारी रिटायर, सरकार के पास 20 साल से मामले पेंडिंग

जयपुर। एसीबी को मंजूरी मिलने से पहले ही छह आरएएस, आरपीएस और एक आईएएस रिटायर हो चुके हैं। किसी के खिलाफ 20 तो किसी के खिलाफ सात साल पहले भ्रष्टाचार के मुकदमे दर्ज हुए थे।
कार्मिक विभाग के अफसरों ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा भ्रष्टों के खिलाफ की गई कार्रवाईयों पर केस चलाने की मंजूरी नहीं देकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, एसीबी के अधिकारियों ने जिन आईएएस, आरएएस और आरपीएस स्तर के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे पिछले 20 साल में दर्ज किए हैं, इनमें से 18 मामलों में जब एसीबी के अधिकारियों ने कोर्ट में केस चलाने के लिए कार्मिक विभाग से मंजूरी मांगी तो जिम्मेदार अफसर केस का परीक्षण का बहाना बनाकर अटका दिया।

ऐसे में अब सवाल है कि क्या एसीबी ने वाहवाही लूटने के लिए ट्रैप की कार्रवाईयां बिना सबूत के ही की थी या फिर कार्मिक विभाग के अफसर आरोपियों को बचाने में लगे हुए हैं। हाल ही में कार्मिक विभाग द्वारा विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पड़ताल में सामने आया कि एसीबी ने तीन आईएएस, 10 आरएएस और छह आरपीएस के 18 भ्रष्टाचार के प्रकरणों में कार्मिक विभाग से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। इन आरोपी अफसरों के खिलाफ वर्ष 2006 से 2023 तक की अवधि में अलग-अलग वर्ष में मुकदमे दर्ज हुए हैं। एसीबी ने अधिकांश आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति वर्ष 2017 से 2023 तक की अवधि में मांगी थी। लेकिन सालों से मंजूरी नहीं मिलने से भ्रष्टों को अभयदान मिला हुआ है।

यह हो चुके रिटायर
पड़ताल में सामने आया कि एसीबी को अभियोजन स्वीकृति मिलने से पहले ही आईएएस नन्नूमल पहाड़िया रिटायर हो चुके हैं। इसके अलावा आरएएस भैरुलाल वर्मा व मोहलाल गुप्ता और आरपीएस सतपाल मिढ्ढा, आश मोहम्मद और वीरेन्द्र कुमार रिटायर हो चुके हैं। जबकि दिव्या मित्तल के खिलाफ एसीबी ने दो मुकदमों में अभियोजन स्वीकृति मांग रखी है।

इन आईएएस के खिलाफ पेंडिंग मामले
निर्मला मीणा तत्कालीन आरएएस एवं जिला रसद अधिकारी जाेधपुर में कार्यरत रहने के दौरान एसीबी ने वर्ष 2017 में मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की थी। मीणा वर्तमान में आईएएस बने चुकी हैं और एसीबी ने मीणा के खिलाफ जुलाई 2018 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
नन्नूमल पहाड़िया तत्कालीन जिला कलेक्टर अलवर रिटायर हो चुके हैं। वर्ष 2022 में एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया और जून 2022 में अभियोजन स्वीकृति पेंडिंग है।
विश्राम मीणा तत्कालीन आरएएस एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सवाई माधोपुर में कार्यरत थे। वर्ष 2006 में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। वे वर्तमान में आईएएस बने चुके हैं। उनके खिलाफ जुलाई 2023 में मांगी गई अभियोजन स्वीकृति पेंडिंग है।

इन आरएएस अफसरों के खिलाफ मामले पेंडिंग

पुष्कर मित्तल आरएएस और पिंकी मीणा आरएएस के खिलाफ वर्ष 2021 में मुकदमा दर्ज किया और मार्च 2021 में अभियोजन स्वीकृति मांगी।
दाताराम और लक्ष्मीकांत बालोत तत्कालीन आरएएस के खिलाफ वर्ष 2017 में मुकदमा दर्ज किया था। फरवरी 2021 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
ममता यादव आरएएस के खिलाफ 2021 में मुकदमा दर्ज किया गया। अप्रैल 2022 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
निशु अग्निहोत्री आरएएस के खिलाफ वर्ष 2015 में मुकदमा दर्ज किया था और अक्तूबर 2022 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
भैरुलाल वर्मा आरएएस के खिलाफ वर्ष 2008 में मुकदमा दर्ज किया था। मार्च 2023 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
मोहनलाल गुप्ता आरएएस के खिलाफ 2015 में मुकदमा दर्ज किया था। अगस्त 2023 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
महेश गगोरिया आरएएस के खिलाफ वर्ष 2023 में मुकदमा दर्ज किया था। जून 2024 में अभियोजन स्वीकृत मांंगी थी।

इन आरपीएस अफसरों के खिलाफ पेंडिंग

आश मोहम्मद आरपीएस के खिलाफ 2019 में मुकदमा दर्ज किया और अक्तूबर 2019 में अभियोजन स्वीकृति मांगी है।
सत्यपाल मिढ्ढा आरपीएस के खिलाफ वर्ष 2020 में मुकदमा दर्ज हुआ और नवंबर 2021 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
वीरेन्द्र कुमार आरपीएस के खिलाफ 2013 में मुकदमा दर्ज हुआ और जनवरी 2022 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
सुगन चंद पंवार आरपीएस के खिलाफ वर्ष 2021 में मुकदमा दर्ज हुआ था और मार्च 2022 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
दिव्या मित्तल तत्कालीन आरपीएस के खिलाफ वर्ष 2023 में मुकदमा दर्ज हुआ और मार्च 2023 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
जितेन्द्र कुमार आंचलिया आरपीएस के खिलाफ वर्ष 2022 में मुकदमा दर्ज हुआ और मई 2023 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।
दिव्या मित्तल आरपीएस के खिलाफ वर्ष 2021 में मुकदमा दर्ज हुआ और जून 2023 में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी।

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