किरोड़ीलाल मीणा फिर एक्शन में, कृषि विभाग में सर्जिकल स्ट्राइक के संकेत

जयपुर। राजस्थान की सियासत में एक बार फिर से किरोड़ीलाल मीणा का ‘तेवर’ लौट आया है। लंबे सियासी विराम के बाद सोमवार को उन्होंने कृषि मंत्री के तौर पर विभागीय कामकाज की कमान संभाली और अधिकारियों के साथ पहली समीक्षा बैठक में ही साफ कर दिया कि इस बार ‘कामचोर बख्शे नहीं जाएंगे’ और ‘भ्रष्टाचार का नामोनिशान मिटेगा’। मीणा के तेवरों से साफ है कि वे अपने अंदाज़ में मंत्रालय चलाएंगे, और शायद इसी शैली की उनसे उम्मीद भी की जा रही थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: इस्तीफा, आत्ममंथन और अब ‘रीलॉन्च’

यह कम दिलचस्प नहीं कि करीब 9 महीने तक विभाग से दूरी बनाए रखने के बाद मीणा की ये वापसी एक सोचे-समझे राजनीतिक ‘रीलॉन्च’ की तरह दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अब खुद स्वीकार किया कि पार्टी आलाकमान ने दोबारा काम पर लौटने को कहा है। यानी एक तरह से केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें ‘रीएक्टिवेट’ किया है।

बैठक में क्या बदला? – ‘सामान्य समीक्षा’ नहीं, ‘सख्ती का संकेत’

मीणा की पहली बैठक कोई औपचारिकता नहीं थी। अधिकारियों से योजनाओं की फीडबैक ली गई, साथ ही यह भी साफ किया गया कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और सब्सिडी प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाए। सूत्रों की मानें तो मीणा ने कुछ अधिकारियों की ‘क्लास’ भी लगाई, जो विभाग में पहले से ढिलाई बरत रहे थे। इससे साफ है कि आगे विभागीय मशीनरी पर चौकसी बढ़ने वाली है।

राजनीतिक संदेश: ‘गिले-शिकवे नहीं’, लेकिन जवाबी हमला जारी

मीणा ने भले ही कहा कि उनके मन में अब कोई गिले-शिकवे नहीं हैं, लेकिन जब उन्होंने कहा कि “पहले भी नहीं थे”, तो यह साफ संकेत था कि सब कुछ ठीक नहीं था। चुनावी पराजय, इस्तीफा और अब वापसी—यह पूरी प्रक्रिया दरअसल एक रणनीतिक चक्र का हिस्सा लगती है। उनकी यह बात भी गौर करने लायक है कि अगर इस्तीफा नहीं देते तो मीडिया सवाल पूछती रहती। यानी वे मीडिया की धार को भी बखूबी समझते हैं।

विपक्ष पर हमलावर, लेकिन अंदाज़ हल्का

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के MSP बयान पर मीणा ने सीधा पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत पहले अपने कार्यकाल की समीक्षा करें। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को लेकर उन्होंने व्यंग्य और अपनत्व के बीच की एक दिलचस्प लाइन ली—“वो मेरे साढ़ू हैं, मेरा विशेष ध्यान रखते हैं।” यानी मीणा विपक्ष पर हमला करना भी जानते हैं और उसे ‘व्यक्तिगत कटुता’ की जगह राजनीतिक व्यंग्य में बदलना भी।

राजनीतिक विश्लेषण: वापसी की पटकथा में है केंद्रीय भूमिका

किरोड़ीलाल मीणा की वापसी महज़ एक मंत्री के कामकाज संभालने की खबर नहीं है, यह एक बड़ा राजनीतिक संकेत है। एक तरफ़ भाजपा राजस्थान में संगठन और सत्ता के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही है, वहीं किरोड़ी जैसे अनुभवी नेताओं को फिर से एक्टिव मोड में लाकर एक सशक्त छवि पेश करना चाहती है। खासकर तब, जब किसान राजनीति का असर लोकसभा चुनावों में भी झलक सकता है।

कृषि मंत्री के रूप में किरोड़ीलाल मीणा की वापसी एक साधारण प्रशासनिक गतिविधि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सियासी कदम है। आने वाले हफ्तों में अगर कृषि विभाग के कामकाज में सुधार और सख्ती दोनों देखने को मिलें तो यह मीणा की ‘एक्शन ब्रांड पॉलिटिक्स’ का नतीजा माना जाएगा।

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