केजरीवाल को नहीं चाहिए मुस्लिम, क्यों?

अरविंद केजरीवाल की राजनीति मुस्लिम आबादी को छोडकर है। जिन राज्यों में मुसलमान कम है वही केजरीवाल अपने हिंदू चेहरे को उभार रहे हैं। गुजरात में मुस्लिम आबादी 10प्रतिशत से कम है और 88 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू आबादी हैं। राजस्थान में मुस्लिम आबादी 9 प्रतिशत है और हिंदू आबादी 88 प्रतिशत से ज्यादा है। मध्य प्रदेश में मुस्लिम आबादी 6.57 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी हिंदू है। छत्तीसगढ़ में तो मुस्लिम आबादी सिर्फ दो प्रतिशत है। हरियाणा में सात प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में दो प्रतिशत और उत्तराखंड में एक प्रतिशत मुस्लिम हैं। सोचें, इन राज्यों में सेकुलर राजनीति करने का केजरीवाल को क्या फायदा है? बड़ी आसानी से इन राज्यों में मुस्लिम आबादी की अनदेखी करके कट्टर हिंदू राजनीति की जा सकती है।

केजरीवाल यही काम कर रहे हैं। जिस तरह से भाजपा नेताओं ने उत्तर प्रदेश में 80 बनाम 20 प्रतिशत की राजनीति की बात कही थी और कई नेताओं ने कहा कि उनको मुस्लिम वोट नहीं चाहिए उसी तरह केजरीवाल की पार्टी के नेता इन राज्यों में कह सकते हैं कि उनको मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। इससे हिंदू मतदाताओं में उनकी साख मजबूत होगी।

तभी केजरीवाल की पूरी रणनीति कांग्रेस को टारगेट बनाते हुए है। इसकी रियल तस्वीर गुजरात चुनाव में मिलेगी। उसने गुजरात में एक प्रतिशत से नौ प्रतिशत तक के मुस्लिम वोट में कांग्रेस के साथ प्रतिस्पर्धा करने की बजाय 85 से 90 प्रतिशत वोट में भाजपा से मुकाबला करने का रास्ता चुना है। इस बड़ी हिंदू आबादी में से ज्यादातर लोग गरीब या निम्न मध्य वर्ग के हैं, जिनके लिए सांप्रदायिक एजेंडा जितना महत्वपूर्ण है उससे ज्यादा आर्थिक एजेंडा अहम है। ऐसे वोटो में केजरीवाल की मुफ्त में सारी चीजें बांटने की राजनीति ज्यादा अपील कर सकती है। अगर केजरीवाल भाजपा से आगे बढ़ कर हिंदू राजनीति करते हैं और साथ ही बिजली, पानी मुफ्त देने का ऐलान करते हैं, मुफ्त राशन और महिलाओं को एक-एक हजार रुपए देने की घोषणा करते हैं तो वे उस वोट में भी सेंध लगा सकते हैं।

हिंदू वोट में जो लोग भाजपा से नाराज हैं उनको केजरीवाल में एक विकल्प मिल रहा है। ऐसे हिंदू वोटमान सकते हैं कि जैसे दूसरे नेता मुस्लिमपरस्ती करते रहे हैं, वैसा केजरीवाल नहीं कर रहे हैं। वे हिंदू हितों की बात करते हैं और जैसा कि उन्होंने खुद कहा है कि वे कट्टर राष्ट्रवादी हैं। यानी जैसे भाजपा और संघ हैं वैसे आम आदमी पार्टी है। अगर हिंदुओं में यह धारणा बनती है तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल होगी। फिर भाजपा से नाराज या भाजपा की सरकारों से नाराज हिंदू वोट आप से जुडेंगे। इसी तरह गरीब और निम्म मध्य वर्ग का वोट भी केजरीवाल के साथ जा सकता है। भाजपा की सरकार वाले राज्यों में जो सत्ता विरोध वोट सहज रूप से कांग्रेस को मिलता था वह केजरीवाल को जा सकता है। इस राजनीति को साधने के लिए केजरीवाल अपना हिंदू एजेंडा चलाने के अलावा कांग्रेस को हिंदू विरोधी बतलाने की भी राजनीति करेंगे। इसी कारणएक तरफ भाजपा को चिंता है कि केजरीवाल उसके हिंदू वोट में सेंध लगा सकते हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस को चिंता है कि वे भाजपा विरोधी हिंदू वोट यदि ले गए तो कांग्रेस के पास क्या बचेगा?

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