हर सभा में भ्रष्टाचार का मुद्दा
वे हर सभा में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश में गुरुवार को सभा में नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि वे 2013 और उससे पहले के अखबारों की सुर्खियां देखें तो लाखों करोड़ रुपए की लूट की खबरें दिखेंगी। यह कहते हुए वे झूठ नहीं बोल रहे थे। सचमुच 2013 और उससे पहले कई बरसों तक संचार घोटाला, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, देवास-अंतरिक्ष घोटाला आदि की खबरें छपती रही थीं। उसी से भ्रष्टाचार का नैरेटिव बना, इंडिया अगेंस्ट करप्शन खड़ा हुआ, अन्ना हजारे मैदान में उतरे और कांग्रेस साफ हुई।
तभी प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने सुनिश्चित किया हुआ है कि चाहे जो हो जाए उनकी सरकार के बारे में घोटालों की खबर नहीं छपनी चाहिए। मीडिया पर नियंत्रण इसलिए किया गया ताकि खबरें न छपें। मोदी को पता है कि खबर झूठी हो या सही अगर लगातार छपती रही तो जनता के दिमाग में जगह बनाती है। उससे धारणा बनती है। सबको पता है कि संचार घोटाले का क्या हस्र हुआ? सारे आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए। लेकिन उस घोटाले की खबरों ने कांग्रेस और डीएमके दोनों को सड़क पर ला दिया था। बहरहाल, जिस तरह से संजय सिंह ने अदालत में कहा कि मोदी हार रहे हैं इसलिए एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं उसी तरह की बातें अनेक यूट्यूबर कह रहे हैं कि मीडिया के लोगों पर छापे इसलिए पड़ रहे हैं क्योंकि मोदी हार रहे हैं। लेकिन यह अधूरी बात है।
मोदी हार रहे हैं इसलिए पत्रकारों के ऊपर दिल्ली पुलिस ने छापा नहीं मारा, बल्कि इसलिए छापा मारा ताकि मीडिया को मैसेज दिया जाए कि आठ महीने में चुनाव होने वाले हैं और सरकार को बदनाम करने वाली कोई खबर नहीं आनी चाहिए। वैसे भी सरकार के खिलाफ कोई खबर मुख्यधारा की मीडिया में तो नहीं आती है। फिर भी ऐहतियात बरतते हुए एक मैसेज दिया गया। उसको हार-जीत के नजरिए से देखने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री को पता है कि मीडिया की ताकत क्या होती है। इसलिए पहले दिन से यह सुनिश्चित किया गया है कि मीडिया खिलाफ न जाए। इसके लिए हर तरह के उपाय किए गए हैं और समय के साथ मीडिया का एक बड़ा हिस्सा खुद ही उस नैरेटिव का हिस्सा बन गया, जो भाजपा चला रही है। राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, मजबूत नेतृत्व, विकास आदि का नैरेटिव मीडिया के बड़े हिस्से ने स्वीकार कर लिया है। सरकार के कहे बिना भी मीडिया विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने लगा और उसका इतिहास खंगालने लगा क्योंकि आम लोगों की तरह उसके मन में भी यह बात बैठा दी गई कि विपक्ष की पार्टियां भ्रष्ट और परिवारवादी हैं।
सो, विपक्षी पार्टियों और सोशल मीडिया स्पेस में भाजपा और मोदी का विरोध करके लाखों दर्शक बनाने वालों को भ्रमजाल से बाहर निकलना होगा। केंद्र सरकार की एजेंसियां विपक्ष के या मीडिया के खिलाफ कार्रवाई इसलिए नहीं कर रही हैं कि भाजपा हार रही है। यह भाजपा के नए नेतृत्व का चुनाव लड़ने का तरीका है। विपक्ष के लिए जरा सी भी गुंजाइश नहीं छोड़नी है। और न मीडिया को इस लायक रहने देना है कि वह विपक्ष की मदद कर सके। विपक्ष और मीडिया पर दबाव डालना चुनावी रणनीति का हिस्सा है।