सरकार क्या किसी आर्थिक संकट में है?

केंद्र सरकार क्या किसी आर्थिक संकट में है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सरकार कहीं से भी पैसा जुटाने की मुहिम में लगी है। भारतीय रिजर्व बैंक से उसे इस बार करीब 90 हजार करोड़ रुपए का लाभांश मिलना है। सोचें, भारत के केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ समय से बहुत उतार चढ़ाव वाला रहा। डॉलर की कीमत को बढ़ने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने बाजार में बहुत डॉलर निकाला। इसके अलावा बढ़ते आयात बिल और अंतरराष्ट्रीय हालात की वजह से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार छह सौ अरब डॉलर से नीचे आ गया था। मई 2021 में यह 645 अरब डॉलर पहुंच गया था, जो पिछले साल गिर कर 529 पर आ गया था। अब फिर यह छह सौ अरब डॉलर के करीब पहुंचा है।

इसके बावजूद भारत सरकार करीब 90 हजार करोड़ रुपए का लाभांश ले रही है। यह पिछले साल के मुकाबले तीन गुना है। वित्त वर्ष 2021-22 में रिजर्व बैंक ने करीब 30 हजार करोड़ रुपए का लाभांश दिया था। माना जा रहा है कि सरकार को किसी तरह से वित्तीय घाटा कम दिखाना है और उसे साढ़े पांच फीसदी के करीब लाना है। इसके लिए सरकार को नकदी की जरूरत है। यह भी कहा जा रहा है कि विदेश में क्रेडिट कार्ड से खर्च करने वालों पर 20 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला भी पैसा इकट्ठा करने की मुहिम का ही हिस्सा था। हालांकि भारी विरोध के बाद इसमें बदलाव हुआ है और कहा गया है कि सात लाख से कम खर्च करने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। दो हजार के नोट बंद करने के फैसले को भी इससे जोड़ा जा रहा है। सरकार चाहती है कि लोगों का पैसा बैंक में लौटे, इसके कई फायदे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *