जयपुर ग्रेटर मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर पर बर्खास्तगी की तलवार एक बार फिर लटक गई है

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 3 पार्षदों को पद से बर्खास्त करने के बाद अब मेयर सौम्या गुर्जर पर भी सरकार जल्द एक्शन लेना चाहती है।इसके लिए सरकार ने न्यायिक जांच की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए भिजवा दी है। ये रिपोर्ट अतिरिक्त महाधिवक्ता के पास भिजवाई है और संभावना है कि 2 से 3 दिन के अंदर इसे कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा. इसके लिए कोर्ट से विशेष अनुमति लेने की तैयारी की जा रही है।

सौम्या गुर्जर के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो मामला लम्बित है। उस पर सुनवाई 26 अक्टूबर को प्रस्तावित है। सरकार का विचार है कि इस तारीख से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक रिपोर्ट पेश कर के कोर्ट से निर्देश मिल जाए। ताकि आगे की कार्रवाई कर सके। आपको बता दें कि 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद जो स्टे ऑर्डर जारी किए थे। उसमें राज्य सरकार और पक्षकार को न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश करने के बाद ही आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।

जानकार सूत्रों के मुताबिक एक साल तक चली न्यायिक जांच की रिपोर्ट 40 पेज से ज्यादा की है। इस रिपोर्ट में मेयर और तीनों पार्षदों को दोषी माना है। इस न्यायिक जांच से पहले जो स्वायत्त शासन विभाग की डिप्टी डायरेक्टर लेवल पर इन चारों जनप्रतिनिधियों की जांच हुई थी। उसमें भी इन्हें दोषी माना था। 3 पार्षदों की तरह अगर सौम्या गुर्जर भी पद से बर्खास्त होती है। तो उनकी जगह मेयर और पार्षद सीट पर चुनाव करवाए जाएंगे।

वहीं दूसरी तरफ सौम्या अगले 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएगी। उधर भाजपा नेताओं का कहना हैं कि अलोकतांत्रिक तरीके से राज्य सरकार ने हमारे पार्षदों को हटाया है। सामान्य घटना को असामान्य बनाया गया।राज्य सरकार ने मनमानी की है। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और अंतिम विजय हमारी ही होगी।

दरअसल 4 जून, 2021 को तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव से महापौर कार्यालय में विवाद हुआ था। इसके बाद 6 जून को सरकार ने चारों को निलंबित कर दिया था। सरकार ने सात जून को शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया था। इसके बाद कोर्ट से मिले स्टे के आधार पर सौम्या वापस महापौर कुर्सी पर काबिज हुई थी।

बहरहाल, तीन पार्षदों की बर्खास्त करने के बाद अब मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिलने वाले निर्देश पर अब निगाहें टिकी हुई हैं। नगर निगम में इस घटनाक्रम के बाद दूसरा धड़ा सक्रिय हो गया है। उधर पार्षदों की बर्खास्तगी के बाद पद रिक्त हो गए हैं। सरकार चुनाव के लिए चुनाव आयोग को सूचना देगी। छह माह में चुनाव करवाया अनिवार्य हैं।

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