राजस्थान के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री इस तरीके की घटनाओं के प्रति न तो संवेदनशील हैं और उनको रोकने के लिए भी पूरे तरीके से नाकाम हैंः डॉ. पूनियां
जयपुर । जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में महिला टीचर को जिंदा जलाने और प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, कांग्रेस शासन में यह पहली घटना नहीं है, इस तरीके की घटनाएं साल में हजारों हो रही हैं और अबतक पूरे प्रदेश में 7 लाख से अधिक मुकदमे, औसतन 18 बलात्कार और 7 हत्याएं प्रतिदिन, यह अपनेआप में एक आंकड़ा इस बात को प्रस्तुत करता है, इस बात का साक्ष्य है कि कांग्रेस सरकार के कामकाज की कानून व्यवस्था की यह बानगी है।
मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की नाक के नीचे हुई यह घटना और सुदूर किसी आदिवासी क्षेत्र में होती है, किसी सीमावर्ती क्षेत्र में भी होती है, कभी मेवात के क्षेत्र में होती है, घटनाएं तभी होती है कि जब अपराधी बैखोफ होता है, अपराधी को यह भरोसा होता है कि मैं कुछ भी करूंगा तो मेरा बाल बांका नहीं होगा, मैं सामान्य सी परिस्थिति में धारा में दर्ज होकर मुकदमें से बाहर आ जाऊंगा।
राज्य सरकार की शिथिलता, लापरवाही और कानून व्यवस्था के प्रति उसकी संवेदनहीनता, यह ऐसे मामलों को और ज्यादा प्रेरित करती है और यह घटना भी जो जमवारामगढ़ के रायसर गांव में घटित हुई, एक दलित महिला शिक्षिका के साथ में यह समाज के लिए आंख खोलने वाली घटना है, पुलिस यदि तत्पर होती, प्रशासन यदि तत्पर होता, यदि उसकी सुनवाई होती तो यह घटना नहीं होती।
घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है और दुभार्ग्य है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री इस तरीके की घटनाओं के प्रति न तो संवेदनशील हैं और उनको रोकने के लिए पूरे तरीके से नाकाम भी हैं।
कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों द्वारा विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों को लेकर की जा रही मनमानी को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ. पूनियां ने कहा कि, यह सरकार ही गैर-जिम्मेदार है, इसलिए सरकार का मंत्री जिम्मेवार होगा इसकी कैसे उम्मीद कर सकते हैं, जबकि मुख्यमंत्री खुद गैर जिम्मेवार हों ऐसे में कांग्रेस सरकार की अब जो पॉलिटिक्स है वो प्रतिशोध की राजनीति है, ईर्ष्या की राजनीति है, तुष्टिकरण की राजनीति है, इसलिए कांग्रेस का कोई मंत्री निरपेक्ष होकर काम करेगा इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है।
दूसरा कांग्रेस के विधायकों को जिस तरीके से राज्य सरकार के मुखिया का संरक्षण मिला है, विधायकों ने नीचे तक जो राजनीतिक पोस्टिंग से लेकर कामकाज में जो भेदभाव किया वो जगजाहिर है, यही कारण है कि कांग्रेस 2023 में अंतिम सांसें गिनेगी।