मोदी और शाह दोनों डुबो रहे है बीजेपी को, चार सौ के पार का नारा फ्लॉप साबित होगा

महेश झालानी वरिष्ट पत्रकार

चुनावों की असल तस्वीर क्या होगी, यह 4 जून को स्पस्ट होगा । लेकिन यह तय है कि इस दफा बीजेपी की हालत बेहद खस्ता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना वजूद बचाए रखने के लिए रोज नए पैंतरों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है । भले ही परिणाम किसी के पक्ष में आए, मगर कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां अति उत्साहित है ।

किसी तरह की भविष्यवाणी करना बेमानी होगा । लेकिन जो खबर छनकर बाहर आ रही है, उससे कहीं भी यह नजर नही आता कि बीजेपी 400 पार कर पाएगी । मीडिया और राजनीतिक पंडितों की माने तो बीजेपी 300 का आंकड़ा भी छू ले तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी । निचोड़ यही है कि भाजपा 250 से 280 तक अटक सकती है । वह सरकार तो बना लेगी, लेकिन उसे पापड़ बहुत बेलने पड़ेंगे ।

ऐसा माना जा रहा है कि 280 से कम सीट आने पर बीजेपी में मारधाड़ की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता है । ऐसे में पार्टी के नेता बगावत करते हुए मोदी और अमित शाह से छुटकारा पाने के लिए सक्रिय हो सकते है । आरएसएस भी इन हालातों में नितिन गडकरी को कमान देने के लिए फरमान जारी कर सकता है ।

अगर सीट कम आती है तो इसके लिये स्वयं मोदी और शाह जिम्मेदार होंगे । इनकी तानाशाही और मनमानी से पार्टी में अंदर ही अंदर बहुत बड़ी बैचेनी है । पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हासिये पर है । जबकि मोदी, शाह और जेपी नड्डा ने कांग्रेसीकरण कर पार्टी की जड़ो में तेजाब डालने का काम किया है । तिगड़ी जिस तरह भ्रस्ट और दागी नेताओ को पार्टी में घुसेडती जा रही है उससे बीजेपी का बुनियादी उद्देश्य ध्वस्त होकर रह गया है ।

तिगड़ी में केवल पीयूष गोयल और वैष्णव जैसे लोग ही शामिल है । बाकी नेता जैसे राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, रवि शंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, अर्जुन मुंडा, गजेंद्र सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी, शाह नवाज खान, धर्मेंद्र प्रधान, नारायण राणे, प्रह्लाद जोशी, सोनोवाल, सिंधिया आदि सब ठंड पी रहे है । केबिनेट के अधिकांश मंत्रियो का कोई वजूद नही है । गडकरी को छोड़कर पीएमओ के अलावा कोई भी मंत्री टॉयलेट बनाने की भी हैसियत नही रखता । सारी शक्तियां मोदी और शाह में निहित है ।

इस बात से कोई इनकार नही कर सकता है कि मोदी और शाह ने पार्टी को चरम पर पहुंचाया है । लेकिन इसको डुबोने में भी इन दोनों की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है । सब जानते है कि चरम पर जाने के बाद गिरावट ही आती है । बीजेपी का चरम समाप्त हो चुका है । अब बारी है गिरावट की । इस गिरावट के लिए बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, मोदी की फेकोलॉजी के अलावा ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है । इसके अतिरिक्त केजरीवाल को जेल में डालने का खामियाजा भी बीजेपी को उठाना पड़ेगा । जलती हुई आग में इलेक्ट्रॉल बांड भी अपनी भूमिका अदा करेंगे ।

नरेंद्र मोदी 2014 से पूरी तरह आक्रामक रहे है । यह पहला चुनाव है जिसमे मोदी को राहुल के सामने बचाव की मुद्रा में आना पड़ा है । राहुल और कांग्रेस की बोलिंग से मोदी बेहद परेशान है । इसलिए कभी मंगलसूत्र तो कभी आरक्षण का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे है । मतदाताओं ने अपना मन बना लिया है जो 4 जून को परिलक्षित हो जाएगा ।

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