भाजपा की चित भी मेरी पट भी मेरी

कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म हो गई बताने वाली भाजपा की नजर सबसे ज्यादा कांग्रेस की गतिविधियों पर है। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर रोज हमले हो रहे हैं तो अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर भी निशाना साधा जा रहा है। कांग्रेस में 22 साल के बाद अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है। इससे पहले सन् 1997 और सन् 2000 में अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। अब फिर चुनाव हो रहा है। आखिरी चुनाव में सोनिया गांधी जीती थीं। तब उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद ने उनको चुनौती दी थी। इस बार यह तय हो गया है कि कोई गैर गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा।

इस मामले में भाजपा का नजरिए चित भी मेरी पट भी मेरी वाला है। पहले भाजपा ने प्रचार किया कि कांग्रेस में अध्यक्ष का पद नेहरू-गांधी परिवार के लिए आरक्षित है। उसी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष बनेगा, जबकि भाजपा में कोई भी अध्यक्ष भी बन सकता है। हालांकि यह भी एक तरह का भ्रम है। बहरहाल, कांग्रेस के मामले में भाजपा का तथ्य सही है क्योंकि पिछले 22 साल से सोनिया और राहुल गांधी ही अध्यक्ष रहे। इस वजह से भाजपा को यह प्रचार करने का मौका मिला कि कांग्रेस वंशवादी पार्टी है, वहां कोई गैर गांधी अध्यक्ष नहीं बन सकता है और पार्टी हमेशा एक परिवार के हित के बारे में सोचती है।

अब जबकि यह तय हो गया है कि सोनिया गांधी अध्यक्ष पद छोड़ेंगी और राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा अध्यक्ष नहीं बनेंगे और 22 साल के बाद कोई गैर गांधी पार्टी की कमान संभालेगा तो भाजपा कह रही है कि जो बनेगा वह सोनिया और राहुल गांधी की कठपुतली होगा। सोचें, कांग्रेस को तो किसी में चैन नहीं है। अगर नेहरू-गांधी परिवार का अध्यक्ष बने तो वंशवाद है और अगर कोई गैर गांधी बने तो वह परिवार की कठपुतली है! हालांकि अभी किसी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन नहीं किया है लेकिन भाजपा ने नाम लेकर कहा है कि अशोक गहलोत हों या शशि थरूर, जो भी होगा वह सोनिया, राहुल की कठपुतली होगा।

इससे किसी को इनकार नहीं हो सकता है कि कांग्रेस का अध्यक्ष वहीं बनेगा, जिसे परिवार का समर्थन होगा और अध्यक्ष बनने के बाद वह काम भी उसी तरह से करेगा, जैसा करने को कहा जाएगा। लेकिन क्या यह बात भाजपा के लिए भी सही नहीं है? भाजपा में भी या तो पार्टी के शीर्ष नेता अध्यक्ष बनते हैं या उनकी मर्जी से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है। वह उसी तरह से काम करता है, जैसा उसे ऊपर से करने को कहा जाता है। जैसे अभी भाजपा में जेपी नड्डा भले पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन वास्तविक ताकत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में है। उसी तरह कांग्रेस में भी असली ताकत कहीं भी रहे एक गैर गांधी को अध्यक्ष बनाया जाएगा।

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