भाजपा को महिला उम्मीदवार बढ़ाने होंगे

भारतीय जनता पार्टी के 195 उम्मीदवारों की पहली सूची में सिर्फ 28 महिलाएं हैं। यानी मगहज 14 फीसदी। सोचें, भाजपा ने नए संसद भवन की शुरुआत महिला आरक्षण बिल से की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला आरक्षण बिल को गेमचेंजर की तरह पेश कर रहे हैं। हालांकि बिल में ही ऐसे प्रावधान कर दिए गए हैं कि महिला आरक्षण 2029 से पहले लागू नहीं हो पाएगा। फिर भी भाजपा इसे मुद्दा बना रही है। सरकार लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का बिल ले आई है लेकिन सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं की संख्या महज 14 फीसदी है।

इसमें भी हेमामालिनी से लेकर स्मृति ईरानी और बांसुरी स्वराज तक किसी न तरह से प्रिविलेज्ड महिलाएं ज्यादा हैं। भाजपा को महिला उम्मीदवारों का प्रतिशत सुधारना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो विपक्षी पार्टियां इसका मुद्दा बना सकती हैं। खास कर पश्चिम बंगाल में जहां भाजपा को ममता बनर्जी की पार्टी से टक्कर लेनी है। ममता बनर्जी ने पिछली बार भी लोकसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दी थी और राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की महिला सांसदों का अनुपात 40 फीसदी से ज्यादा है।

ओडिशा में नवीन पटनायक भी 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दे रहे हैं। अगर प्रधानमंत्री को वॉक द टॉक दिखाना है यह दावा करना है कि वे जो कहते हैं, सो करते हैं तो उन्हें भाजपा के कोटे की बची हुई ढाई से सौ के करीब सीटों पर बड़ी संख्या में महिलाओं को टिकट देनी होगी। अगर वे महिला उम्मीदवारों का अनुपात 20 फीसदी भी ले जाना चाहते हैं तो बची हुई ढाई सौ सीटों में 60 से ज्यादा महिलाओं को टिकट देनी होगी।

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