भाजपा ने उम्र का बंधन खत्म किया
ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए तय की गई उम्र की अघोषित सीमा को समाप्त कर दिया है। थोड़े समय पहले 75 साल की उम्र सीमा का बड़ी चर्चा होती थी। भाजपा ने अनेक बड़े नेताओं को इस आधार पर रिटायर कर दिया या चुनावों में टिकट नहीं दी। भाजपा इस अघोषित नियम की परीक्षा इस लोकसभा चुनाव में होनी थी क्योंकि कई ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ना था, जिनकी उम्र 75 साल हो गई थी या होने वाली थी।
कई ऐसे नेता भी थे, जिनकी उम्र अगले एक या दो साल में 75 को पार करने वाली थी। तभी यह देखना था कि भाजपा ऐसे नेताओं को टिकट देती है या नहीं। भाजपा ने ऐसे ज्यादातर नेताओं को टिकट दे दी है और इतना ही नहीं बाहर से लाकर भी ज्यादा उम्र के उम्मीदवार पार्टी ने उतारे हैं।
बाहर लाकर चुनाव लड़ाए जा रहे उम्मीदवारों में एक मिसाल हरियाणा की हिसार सीट से चुनाव लड़ रहे रणजीत सिंह चौटाला हैं। वे चौधरी देवीलाल के बेटे हैं और उनकी उम्र 78 साल है। वे निर्दलीय विधायक थे और भाजपा की सरकार को समर्थन दे रहे थे। अब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं और लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
बाहर से आकर भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे नेताओं में एक बड़ा नाम पटियाला की महारानी परनीत कौर का है। उनकी उम्र 79 साल है। वे कांग्रेस की सांसद थीं। लेकिन जिस दिन उन्होंने भाजपा ज्वाइन की उसी दिन पार्टी ने उनको पटियाला सीट से उम्मीदवार बना दिया।
अगर भाजपा के अपने नेताओं की बात करें तो पार्टी ने पूर्वी चंपारण सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह को फिर से उम्मीदवार बना दिया है। वे लगातार 10वीं बार उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी उम्र इस साल एक सितंबर को 75 साल हो जाएगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल सितंबर में 74 साल के होंगे और अगले साल सितंबर में 75 साल की सीमा तक पहुंच जाएंगे।
इसी लोकसभा के कार्यकाल के बीच राजनाथ सिंह और मनोहर लाल खट्टर भी 75 साल की उम्र सीमा पार करेंगे। दोनों की उम्र 72 साल से ऊपर है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और आरके सिंह भी 72 साल के हैं और दोनों को फिर लोकसभा की टिकट मिली है।
जाहिर है भाजपा के लिए उम्र की सीमा का कोई मतलब नहीं है। एक समय में कुछ खास लोगों को पार्टी की टिकट से वंचित करने के लिए इसे अघोषित रूप से लागू किया गया था। ध्यान रहे पिछले ही साल विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कई नेता 75 साल से ज्यादा उम्र के थे और लड़े थे। उससे पहले गुजरात में भी 75 साल से ज्यादा उम्र के उम्मीदवार लड़े थे।
दो साल पहले भाजपा के नेता सत्यनारायण जटिया ने कह भी दिया था कि भाजपा में ऐसा कोई नियम नहीं है। सवाल है कि नियम नहीं है तो मध्य प्रदेश में बाबूलाल गौर से लेकर झारखंड में रामटहल चौधरी तक को क्यों इस नियम के हवाले बेटिकट किया गया था?