एक और खेल संघ पर भाजपा का कब्जा

भारतीय जनता पार्टी के राजनीति में केंद्रीय ताकत बनने के बाद ऐसा नहीं है कि वह एक-एक करके राज्यों में अपनी सरकारें बना रही है। वह राजनीति से इतर दूसरे संघों और संगठनों पर भी कब्जा कर रही है। खेल संघ भी उन्हीं में से एक हैं। भाजपा एक-एक करके कई खेल संघों पर कब्जा कर चुकी है। नया कब्जा ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन यानी एआईएफएफ पर भाजपा का कब्जा हो गया है। भाजपा के पश्चिम बंगाल के नेता कल्याण चौबे फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष चुने गए हैं।

ध्यान रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के सचिव केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह हैं और कोषाध्यक्ष हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अरुण धूमल हैं। बोर्ड के अध्यक्ष भले सौरव गांगुली हैं लेकिन क्रिकेट बोर्ड एक तरह से जय शाह और अरुण धूमल ही चला रहे हैं। इसी तरह लॉन टेनिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भाजपा के पूर्व महासचिव और राज्यसभा सांसद अनिल जैन हैं। बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह हैं। भाजपा नेता सुधांशु मित्तल खो खो इंडिया फेडरेशन के अध्यक्ष हैं। राज्यों में भी खेल संघों पर भाजपा नेताओं का नियंत्रण होता जा रहा है।

बहरहाल, बरसों से फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल थे। उनसे पहले पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता प्रियरंजन दासमुंशी काफी समय तक अध्यक्ष रहे थे। अब कई किस्म की गड़बड़ियों और मान्यता रद्द होने के विवादों के बीच ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष का चुनाव हुआ है, जिसमें भाजपा के कल्याण चौबे जीत गए हैं। वे फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं और भारतीय टीम को गोलकीपर के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेल चुके हैं। पहली बार कोई फुटबॉलर इसका अध्यक्ष बना है। लेकिन वे फुटबॉलर होने की वजह से अध्यक्ष नहीं बने हैं, बल्कि भाजपा नेता होने की वजह से अध्यक्ष बने हैं।

कल्याण चौबे पिछले लोकसभा चुनाव में कृष्णानगर सीट से लड़े थे लेकिन जीत नहीं पाए थे। लेकिन भाजपा ने उनको फुटबॉल फेडरेशन का अध्यक्ष बना दिया। उनको अध्यक्ष पद के लिए नामांकन अपने राज्य से नहीं मिला था। गुजरात फुटबॉल संघ उनका प्रस्तावक था और अरुणाचल प्रदेश ने समर्थन किया था। बताया जा रहा है कि मौजूदा कानून मंत्री और पूर्व खेल मंत्री कीरेन रिजीजू ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। उपाध्यक्ष पद पर चुनाव हारने वाले कांग्रेस नेता मानवेंद्र सिंह ने आप लगाया है कि रिजीजू उस होटल में गए, जहां सारे वोटर रूके थे और उन्होंने मतदाताओं को प्रभावित किया, जिससे भूटिया का पैनल हार गया। बाईचुंग भूटिया भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान रहे हैं और इस बार प्रफुल्ल पटेल खेमे ने उनका समर्थन किया था। वे पहले तृणमूल कांग्रेस में थे लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी बना ली है।

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