एनडीए में शुरू हुआ मोलभाव

भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। एनडीए में शामिल उसके सभी सहयोगी दलों ने मोदी को नेता भी चुन लिया है। लेकिन सरकार गठन से पहले पार्टियों ने मंत्री पद, मंत्रालय और अन्य चीजों के लिए मोलभाव भी शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि सभी घटक दलों ने भाजपा को अपना प्रस्ताव सौंप दिया है। भाजपा की ओर से राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा को सभी पार्टियों के नेताओं से एक एक करके बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने चार मंत्री पद की मांग की है। उन्होंने तीन सांसद पर एक मंत्री पद देने की मांग की है। ध्यान रहे इससे पहले भाजपा की मोदी सरकार ने हर सहयोगी पार्टी को सिर्फ एक मंत्री पद देने का फॉर्मूला बनाया था, चाहे उसके सांसद कितने भी हों। इस बार यह फॉर्मूला बदलेगा। बहरहाल, नीतीश की पार्टी के कोटे से हरिवंश राज्यसभा के उप सभापति भी हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश ने पूरे देश में जाति गणना कराने, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने और बिहार में जल्दी चुनाव कराने की भी मांग की है।

बिहार के ही दूसरे नेता चिराग पासवान ने दो मंत्री पद मांगा है। उनकी पार्टी के पांच सांसद जीते हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि वे इसके अलावा राज्यसभा की एक सीट भी मांग रहे हैं। उनकी पार्टी का कहना है कि लोक जनशक्ति पार्टी को समझौते में लोकसभा का सिर्फ पांच सीटें मिलीं, जबकि पिछली बार उसे छह सीटें मिली थीं और उसके छह सांसद जीते थे। सो, एक लोकसभा सीट के बदले एक राज्यसभा सीट देने की मांग भी हो रही है। वे अपनी मां के लिए राज्यसभा की सीट मांग रहे हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं लेकिन उनको भी एक मंत्री पद चाहिए।

जानकार सूत्रों के मुताबिक सबसे बड़ी मांग तेलुगू देशम पार्टी ने की है, जिसके 16 सांसद जीते हैं। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने छह मंत्री पद मांगे हैं और साथ में स्पीकर का पद भी मांगा है। ध्यान रहे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में टीडीपी के सीएम बालयोगी स्पीकर रहे थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिव सेना के नेता एकनाथ शिंदे ने दो मंत्री पद मांगा है। उनकी पार्टी के सात सांसद जीते हैं। राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने याद दिलाया है कि उन्हें चुनाव से पहले ही एक मंत्री पद देने का वादा किया गया था। वे खुद राज्यसभा सांसद हैं और उनकी पार्टी के दो लोकसभा सदस्य जीते हैं। इस बार अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी से अकेले जीती हैं लेकिन वे भी एक मंत्री पद चाहती हैं।

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