विपक्ष की पक्की सीटें छीनने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में इस बार उन सीटों पर ध्यान लगाए गए हुए है, जिनको विपक्ष की श्योर सीट मानते हैं। पिछली बार भी भाजपा ने ऐसी कोशिश की थी और तभी अमेठी में राहुल गांधी हारे थे या दुमका में शिबू सोरेन को हराया गया था। रोहतक सीट पर बहुत मामूली अंतर से दीपेंदर हुड्डा हारे थे। लेकिन पिछली बार भाजपा छिंदवाड़ा में कमलनाथ को या बारामती में सुप्रिया सुले को नहीं हरा पाई थी। बेंगलुरू ग्रामीण सीट पर डीके शिव कुमार के भाई डीके सुरेश भी जीत गए थे। हासन सीट पर भी एचडी देवगौड़ा के पोते प्रजवाल रेवन्ना चुनाव जीत गए। हासन वह सीट है, जो आज तक भाजपा या जनसंघ नहीं जीत पाए हैं। तभी भाजपा ने इस तरह की सीटों की पहचान की है और उनको विपक्ष से छीनने की योजना पर काम शुरू किया है। ।

इस योजना के तहत ही भाजपा ने जेडीएस को अपने गठबंधन में शामिल कराया है। अब उसे हासन, मांड्या या तुमकुरू सीट के बारे में चिंता करने की जरुरत नहीं है। जेडीएस की मदद से भाजपा इस बार बेंगलुरू ग्रामीण सीट पर डीके सुरेश को हराने की योजना पर काम कर रही है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ को भाजपा में शामिल कराने का प्रयास इसलिए भी हो रहा था कि छिंदवाड़ा सीट हासिल की जा सके।

महाराष्ट्र की बारामती सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को हराने के लिए अजित पवार को लगाया गया है। वे लगातार बारामती में प्रचार कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि उनकी पत्नी नेत्रा पवार बारामती सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।

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