ईडी के सामने पेश होकर तथ्यों सहित गहलोत परिवार की कारगुजारियों का करूंगा पर्दाफाशः किरोडी लाल मीणा
जयपुर। राज्यसभा सांसद डॉ. किरोडीलाल मीणा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करतेे हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव गहलोत सहित बहू हिमांशी गहलोत पर पांच सितारा एंव हैरिटेज होटल व्यवसाय में फेक और डमी कंपनियां बनाकर हजारों करोड के अवैध निवेश के आरोप लगाए हैं। इन होटलों के गैरकानूनी ढंग से भूमि रूपांतरण, अवैध निर्माण, चारागाह और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण सहित जल स्त्रोतों के अवैध दोहन के आरोप लगाते हुए ईडी से जांच की मांग की।
डॉ. मीणा ने प्रेसवार्ता के दौरान मुख्य रूप से प्रदेश के चार बडे होटलों उदयपुर के रैफल्स होटल, ताज अरावली होटल, माउंट आबू के निमडी पैलेस और जयपुर के फेयर माउंट होटल में अवैध भूमि रूपांतरण, निर्माण, विदेशी शैल कंपनियों के जरिये मॉरीशस और लंदन का पैसा निवेश करने के आरोप लगाए गए।
मुख्यमंत्री गहलोत के राजनैतिक संरक्षण में उदयपुर की उदयसागर झील के पेटे की जमीन पर रैफल्स होटल का निर्माण किया गया है। जिसमें कुछ समय पहले करीब आठ हेक्टेयर जमीन को एक आदिवासी से हडप कर उसमें से करीब दो हैक्टेयर भूमि को अवैध तरीके से रूपातंरित कर निर्माण किया है, जबकि छह हैक्टेयर भूमि को कृषि प्रयोजन के लिए छोडा गया है। दो हैक्टेयर भूमि में निर्माण इस ढंग से किया गया जिससे जमीन झील के पेटे से बाहर नजर आ सके।
उक्त अवैध निर्माण को राजस्थान उच्च न्यायालय ने ध्वस्त करने के आदेश भी दिए थे। इसी होटल के लिए वर्ष 2014 में वर्धा एंटरप्राईजेज ने बिना अनुमति सडक का निर्माण किया, जिसको 2017 में जलदाय विभाग की जांच में अवैध निर्माण माना गया। इसके बाद 2018 में प्रदेश में गहलोत सरकार बनते ही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के संरक्षण में वर्धा कंपनी ने इस होटल में अवैध रूप से 40 कमरों को निर्माण करवाया।
डॉ. किरोडीलाल मीणा ने कहा कि गहलोत परिवार की दूसरी संपत्ति होटल ताज अरावली है, जो कि मुंबई निवासी राजीव आनंद और वैभव गहलोत के मालिकाना हक वाला होटल है।
उन्होने कहा कि यह वही होटल है जिसमे कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था और राज्यसभा चुनाव के समय बाडाबंदी की गई थी। इस होटल में वन विभाग और चारागाह भूमि पर अवैध रूप से निर्माण किया हुआ है। नियमों की धज्जियां उडाते हुए पिछोला झील के पेटेे में दस करोड के सौंदर्यीकरण कार्य कराए गए। वर्ष 2020-21 में जिसके खिलाफ मैने प्रदर्शन किया तो मुझे जिला बदर कर दिया गया था।
इसके अलावा माउंट आबू का निमडी पैलेस जो कि ईको सेंसेटिव जोन में आता है, इसमें गहलोत के नजदीकी बद्री जाखड ने राजनैतिक संरक्षण में अवैध रूप से 80 कमरों का निर्माण कराया।
इसके अलावा जयपुर की पांच सितारा होटल फेयर माउंट में वैभव गहलोत ने एक शैल और फर्जी कम्पनी सिवनार होल्डींगस लिमिटेड के नाम पर 96 करोड 75 लाख रूपये मारीषियस से बेनामी रूप से निवेश किया गया है । सिवनार होल्डींगस लिमिटेड‘‘ एक फर्जी एवं शैल कम्पनी है जो कि मूल कंपनी ‘‘जेटीसी फिड्सीरी सर्विसेट लिमिटेड‘‘ (पूर्व नाम मिनर्वा फिडयू्षीयरी लिमिटेड) मारीषियस के पते पर पंजीकृत है।
ट्राइटन होटल एण्ड रिसोर्ट प्रा. लि. कंपनी का फेयर माउंट में पचास प्रतिशत की हिस्सेदारी रतनकान्त शर्मा एवं उनकी पत्नी जूही शर्मा की है। इसके अलावा बेनामी पचास प्रतिशत हिस्सेदारी वैभव गहलोत की ‘सिवनार होल्डींगस लिमिटेड‘‘ फर्जी एवं शैल मॉरीशस की कंपनी के नाम से है । जे.टी.सी. कंपनी में प्राइवेट क्लाइंट गहलोत परिवार से हैं जो काले धन को मॉरीशस की कम्पनी के जरिये काले धन को सफेद करने में लगे हुये हैं ।
डॉ. किरोडीलाल मीणा ने कहा कि जे.टी.सी. फिडयूसरी लिमिटेड जिसका (पूर्व में मिनर्वा फिडयू्षीयरी लिमिटेड के नाम था ) एक हवाला कम्पनी है एवं पनामा पेपर्स लीक स्कैम में लिप्त है । शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने घाटे में चल रही कंपनी फेयरमाउंट होटल में आधा स्वामित्व भारी प्रीमियम कीमत पर खरीदा है। जबकि शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने मूल रूप से कंपनी के 50 प्रतिशत स्वामित्व के लिए भारी धनराशि का निवेश किया था, और होटल के वास्तविक बाजार मूल्य को संतुलित करने के लिए शेयरो को कम हिस्सेदारी के लिए एक 100 रूपये के शेयर को 39,000 रूपये व 2,200 रूपये प्रीमियम मूल्य पर खरीदा गया।
वैभव गहलोत लंबे समय तक होटल फेयरमाउंट में कानूनी सलाहकार रहे हैं एवं फेयरमाउंट में बोगस बिल पास कराए, ऐसे सभी बिलो का भुगतान वैभव गहलोत और उनकी पत्नी हिमांशी गहलोत की कंपनी ‘‘सन लाइट कार रेंटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड‘‘ को किया जाता है।
होटल फेयर माउंट के अन्य पार्टनर रतनकांत शर्मा गहलोत के कारोबार का प्रबंधन करते है, और होटल फेयर माउंट जयपुर और रैफल्स उदयपुर होटल के मालिक भी हैं। वैभव गहलोत परिवार की कंपनी सनलाईट कार रेन्टल सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड में वैभव गहलोत के साथ बराबर हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के मालिक थे। कुछ समय बाद रतनकान्त शर्मा इस कंपनी से अलग हट गए।