भाजपा का एक और सहयोगी अलग होगा

भारतीय जनता पार्टी जैसे जैसे ताकतवर होती जा रही है वैसे वैसे उसके सहयोगी छूटते जा रहे हैं। शिव सेना, अकाली दल और जनता दल यू जैसे बड़े सहयोगियों के अलग होने के बाद अब पूर्वोत्तर में भी पार्टी का एक सहयोगी साथ छोड़ सकता है। मेघालय में सरकार चले रहे कोनरेड संगमा की पार्टी नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी से भाजपा का तालमेल खत्म हो सकता है। हालांकि दोनों पार्टियों ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों अलग अलग लड़ेंगे लेकिन अब भाजपा राज्य सरकार से अलग होने जा रही है। राज्य की विधानसभा में भाजपा के दो विधायक हैं लेकिन वह सरकार का हिस्सा है।

मेघालय की 60 सदस्यों की विधानसभा में एनपीपी के 23 विधायक हैं और उसे और उसे सात निर्दलियों सहित 23 और विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। इसी में भाजपा के भी दो विधायक हैं। एनपीपी के सात विधायकों ने मणिपुर में और चार विधायकों ने अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को समर्थन दिया हुआ है। अगर दोनों का तालमेल टूटता है तो मणिपुर व अरुणाचल में भी एनपीपी अलग होगी। पिछले दिनों मेघालय में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के यहां राज्य की पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की थी और उनके घर से हथियार बरामद किया था और यह भी पता चला था कि भाजपा नेता वेश्यालय चलाते थे। उसके बाद से दोनों पार्टियों में तनाव बढ़ा हुआ है। अगर अलग लड़ कर एनपीपी बहुमत हासिल करती है तो पूर्वोत्तर में भाजपा के लिए मुश्किलें शुरू होंगी। कांग्रेस के लिए भी यह मौका है। आखिरी संगमा का परिवार लंबे समय तक कांग्रेस में रहा है।

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