अडानी बदल रहे हैं या समय बदल रहा है?

देश के सबसे अमीर और दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी पिछले कुछ दिनों से लगातार भाजपा विरोधी पार्टियों के नेताओं से मिल रहे हैं। वे गैर भाजपा दलों के शासन वाले राज्यों में निवेश के प्रस्ताव दे रहे हैं। भाजपा विरोधी पार्टियां भी उनका भरपूर स्वागत कर रही हैं। सवाल है कि ऐसा क्या हुआ कि भाजपा के आठ साल के शासन के बाद अचानक गौतम अडानी गैर भाजपा दलों के नेताओं से संपर्क करने लगे? क्या अडानी बदल रहे हैं या देश का राजनीतिक मौसम बदल रहा है?

सोशल मीडिया में ऐसा मानने वाले बहुत लोग हैं, जिनको लग रहा है कि देश का राजनीतिक मौसम बदल रहा है। कांग्रेस समर्थक यह भी मान रहे हैं कि यह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर है, जो अडानी कांग्रेस शासित राज्यों में भी निवेश के प्रस्ताव देने लगे हैं। हालांकि यह आत्ममुग्धता वाली बात ज्यादा लगती है। क्योंकि अभी देश में कोई राजनीतिक मौसम बदलता नहीं दिख रहा है। चुनाव आने तक विपक्षी पार्टियों की राजनीति क्या आकार लेती है और महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर देश के लोग कैसी प्रतिक्रिया देते हैं उससे अंदाजा लगेगा कि अगले चुनाव में क्या होगा।

उससे पहले गौतम अडानी अगर विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं तो उसका मतलब यह है कि वे देश के नंबर एक कारोबारी की तरह काम करना सीख रहे हैं। उनको लग रहा है कि लंबे समय तक अगर टिके रहना है और कारोबारी साम्राज्य का विस्तार करना है तो सभी पार्टियों को दुश्मन बना कर ऐसा नहीं हो सकता है। दूसरी खास बात यह है कि ताली दोनों हाथों से बजती है। अगर अडानी बदल रहे हैं और अपने को एक पार्टी से अलग करके एक सामान्य कारोबारी की तरह बरताव कर रहे हैं तो दूसरी ओर सारी विपक्षी पार्टियों के नेता भी बांहें फैला कर उनका स्वागत कर रहे हैं। उनको अब तक गाली देने वाले सारे नेता उनके स्वागत में बिछे हुए हैं। सो, अकेले अडानी नहीं बदल रहे हैं, नेता भी बदल रहे हैं।

बहरहाल, अडानी की सबसे दिलचस्प मुलाकात शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे के साथ थी, जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। अशोक गहलोत तो एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं और उनकी सरकार ने इन्वेस्ट राजस्थान सम्मेलन कराया तो उसमें अडानी गए और निवेश का प्रस्ताव दिया। वह सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन उससे पहले वे मातोश्री यानी उद्धव के घर जाकर उनसे मिले थे। उद्धव अब मुख्यमंत्री नहीं हैं और न बहुत बड़ी पार्टी के नेता हैं। फिर भी अडानी का उनसे मिलना बड़ी राजनीति का संकेत है। अडानी ने ममता बनर्जी और के चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात की लेकिन वह इस नाते हुई मुलाकात थी कि दोनों मुख्यमंत्री हैं और हर कारोबारी उनसे मुलाकात करता है।

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