मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिए ठोस नीति बनाई जाएगी – पर्यावरण राज्य मंत्री
जयपुर। पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने सोमवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि राज्य सरकार द्वारा अलवर जिले के मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित केमिकल इकाइयों से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के सम्बन्ध में ठोस नीति बनाकर समस्या का स्थायी समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्र में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र की यथाशीघ्र स्थापना के लिए रीको एवं उद्योग विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा ताकि क्षेत्रवासियों को जल्द से जल्द प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सके।
पर्यावरण राज्य प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में सीवेज ट्रीटेमेन्ट प्लांट की स्थापना के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा आवश्यक प्रयास किये गए हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) की स्थापना के लिए मैसर्स अशोका लीलैंड के पीछे 20 हजार वर्ग मीटर की भूमि का आवंटन किया गया है एवं मत्सय वेस्ट ट्रीटर्स एसोसिएशन का गठन भी किया जा चुका है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सम्बंधित क्षेत्र में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र की स्थापना होने तक राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक अपशिष्ट के निस्तारण का त्वरित रूप से अस्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
संजय शर्मा ने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार द्वारा जिले के एनसीआर क्षेत्र में नियमों की अवहेलना कर कचरा जलाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही क्षेत्र में संचालित शराब इकाइयों द्वारा प्रदूषण फैलाने की शिकायतों के संबंध में भी यथोचित कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले विधायक जुबेर खान के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में पर्यावरण राज्य मंत्री ने सदन को अवगत कराया कि अलवर जिले के मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में कुल 71 केमिकल इकाईयाँ है। जिनकी सूची उन्होंने सदन के पटल पर रखी। उन्होंने जानकारी दी कि रीको द्वारा अलवर जिले के मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में सीवेज ट्रीटेमेन्ट प्लांट की स्थापना नहीं की गई है।
उन्होंने बताया कि मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में स्थित जल प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा लापरवाही एवं दुर्घटनावश औद्योगिक अपशिष्ट के इकाई परिसर के बाहर नाले में प्रवाहित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उद्योगों के घरेलू अपशिष्ट , मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र के आस पास के गाँव, रीको कॉलोनी से भी घरेलू अपशिष्ट जनित होकर मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र के नालों में प्रवाहित होते हुए हंस सरोवर बांध में पहुँच रहा है।
उन्होंने बताया कि इसकी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा निरन्तर रूप से औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण एवं मोनिटरिंग की जाकर जल प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाओं की जाँच की जाती है तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि उद्योगों में स्थापित उपचार संयंत्र (ई.टी.पी.) व अन्य उपाय सुचारू रूप से संचालित है अथवा नहीं तथा दोषी उद्योगों पर जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1974 के प्रावधानों के अन्तर्गत उद्योगों को बंद कराना, विद्युत् एवं जल सम्बन्ध विच्छेद करना, पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि (ई.सी.) अधिरोपित करना इत्यादि शामिल हैं।
संजय शर्मा ने बताया कि वर्तमान में दूषित पानी से विगत तीन वर्षो में किसी भी प्रकार के पशु पक्षियों की मौत की सूचना पशुपालन विभाग के सम्बन्धित नजदीकी पशु चिकित्सालय, बहाला को प्राप्त नही हुई है।