लोकसभा से पहले विधानसभा की सोचे कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी घोड़े के आगे बग्घी जोतने वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। सोमवार से हल्ला मचा हुआ है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए छह कमेटियां बनाई हैं। इन्हें इम्पावर्ड यानी अधिकार प्राप्त समिति कहा जा रहा है। हालांकि अभी इन कमेटियों की भूमिका क्या होगी इसका अंदाजा नहीं है फिर भी अगर कांग्रेस पार्टी ने 2024 के चुनाव के लिए कमेटी बनाई है तो उसे एक बार फिर इस बारे में विचार करना चाहिए क्योंकि लोकसभा चुनाव अभी दूर हैं और उससे पहले 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिन दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है उन दोनों राज्यों में भी लोकसभा से पहले विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए कांग्रेस को लोकसभा छोड़ कर अभी विधानसभा चुनावों पर ध्यान देना चाहिए।
अगर कांग्रेस इन दो सालों में होने वाले विधानसभा चुनावों नहीं जीतती है तो वह लोकसभा का चुनाव लड़ने लायक ही नहीं बचेगी। वह राजनीतिक रूप से अछूत होगी। पार्टियां उससे तालमेल नहीं करेंगी और पार्टी टूट कर बिखर जाए तब भी हैरानी नहीं होगी। ध्यान रहे इस साल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा के चुनाव हैं। अगले साल त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के चुनाव साल के शुरू में हैं। साल के मध्य में कर्नाटक और अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के चुनाव हैं। यानी लोकसभा से पहले 10 राज्यों के चुनाव हैं। कांग्रेस को हर हाल में इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा तभी वह 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएगी। इसलिए कांग्रेस चिंतन शिविर में जो करना है करे परंतु फोकस राज्यों के चुनाव पर रखे। अगर वह दो-तीन राज्य जीतती है तो अपने आप लोकसभा चुनाव का केंद्र बनेगी।