भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने जोधपुर पहुंचकर हिंसा पीडितों से की मुलाकात
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने जोधपुर पहुंचकर हिंसा पीडितों से मुलाकात कर कुशलक्षेम पूछी, पार्टी पदाधिकारियों को पीडितों की मदद करने के लिए निर्देशित किया और पुलिस प्रशासन से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के संबंध में वार्ता की।
इस दौरान डॉ. पूनियां के साथ राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत, विधायक सूर्यकांता व्यास, विधायक गोपाल खण्डेलवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रसन्न चंद मेहता, जिलाध्यक्ष देवेन्द्र जोशी, जिला महामंत्री करण सिंह खींची, उप महापौर किशन लडडा, देवेन्द्र सालेचा, राजेन्द्र बोराणा इत्यादि उपस्थित रहे।
डॉ. पूनियां ने जोधपुर शहर के जालोरी गेट इलाके व वहां के अस्पतालों में पहुंचकर हिंसा पीडितों से मुलाकात कर उनका मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कहा कि भाजपा परिवार पीडितों के साथ मजबूती से खडा है, बहुसंख्यकों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किये जाएंगे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बात को सुनिश्चित करें कि कांग्रेस के शासन में बहुसंख्यकों व आमजन की सुरक्षा सुनिश्चत हो।
डॉ. पूनियां ने जोधपुर सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता में कहा कि, मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र में गंभीर घटना हो जाए, जो दृश्य दिखा वह हृदयविदारक है, जो घटनाएं सुनीं, वो लगता नहीं है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में इस तरीके से जनसुरक्षा को सीध-सीधे चुनौती मिलती है।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार को 40 माह हो गए जिसकी अगुवाई अशोक गहलोत कर रहे हैं, 40 माह में अपराधों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिसके कारण राजस्थान की जनता में बडा जन-आक्रोश है। सत्ता के विरोध में एंटी इंकंबेन्सी, आक्रोश वो सामान्य तौर पर इलेक्शन ईयर में दिखता है कि इस सरकार ने ठीक काम नहीं किया तो इसलिए बदल दो, कांग्रेस सरकार की बनने के शुरूआत में अलवर के थानागाजी में गैंगरेप हुआ, और उसके बाद अलवर निर्भया तक कई बडी वारदातें हुई, जिनसे प्रदेश शर्मसार हुआ, इस सरकार के खिलाफ शुरूआती वर्ष से ही पूरी तरह एंटी इंकंबेन्सी का माहौल है।
राजस्थान में जो दृश्य बना उसमें एक बात समझ में आती है कि मुख्यमंत्री 24 घंटे के सियासी व्यक्ति हैं, उन पर रिसर्च की जा सकती है कि 365 दिन 24 घंटे केवल सियासी रोटियां कैसे सेकी जाती हैं, उनका सियासी चश्मा वैसी ही क्यों होता है, लेकिन एंटी इंकंबेन्सी को रोकने के लिए मुददों को डायवर्ट कैसे किया जाए, वो आरोप भाजपा पर लगाते हैं, जोधपुर के पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस सरकार व मुख्यमंत्री स्वयं खुद दोषी हैं, जिन लोगों का वो संरक्षण करते हैं वोटबैंक की राजनीति के नाम पर तुष्टीकरण के नाम पर जिस तरीके से संरक्षण अराजक तत्वों को मिलता है, उसके कारण यह घटनाएं होती हैं।
देश में तिरंगे का भी सम्मान है, भगवे का भी सम्मान है, यहां वंदे मातरम और भारत माता के नारे सहज रूप से लगाए जाते हैं, यहां अश्फाक, एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धा से याद करते हैं, लेकिन जब पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं तो बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं आहत होती हैं।
इस देश की खाएं तो इस देश की क्यों नहीं गायें, लेकिन प्रश्न यहीं खडा होता है जिस कांग्रेस पार्टी ने सत्ता की भूख में देश के विभाजन को स्वीकार किया। नेहरू को भारत की सत्ता की चिंता थी और जिन्ना को पाकिस्तान की और कांग्रेस पार्टी ने इस वोट बैंक की सांप्रदायिक का, तुष्टीकरण का बीज वहीं से डाल दिया और कांग्रेस पार्टी का यह एक इंस्ट्रूमेन्ट बन गया, अल्पसंख्यक समुदाय का भला नहीं किया, उनका वोट बटोरते रहे, लेकिन इस तुष्टीकरण के कारण आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, कच्छ से लेकर कामरूख तक 1885 की कांग्रेस पार्टी जो 52-55 वर्षो तक राज में रही, आज रीजनल पार्टी से भी पिछड गई और इसलिए आज दो प्रदेश बचे हैं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान।
एक बात ताज्जुब करने वाली थी कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा सोनिया गांधी के पास पड़ा है, जो मैंने सोनिया गांधी से निवेदन किया कि जो निवेदन पडा है उसे स्वीकार करलंे कि राजस्थान की जनता को निजात तो मिले।
जोधपुर की इस घटना में निर्दोष लोगों को पकड़ लिया गया, जिनका कोई कन्सर्न नहीं था, यदि हनुमान चालीसा पढ़ना अपराध है तो मुझे लगता है कि यह हमारा दुर्भाग्य है। भगवा लहराना और भगवा फहराना अपराध है तो भी तकलीफ की बात है, अपने घर के बाहर यदि लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन अपराध है तो हम कौनसे लोकतंत्र की बात करते हैं।
मुझे लगता है कि निर्दोष लोगों को कांग्रेस सरकार प्रताडित नहीं करंे, और दोषियों को पहचानने में कई घंटे लगा दिये वो उनकी नजर में थे, निगाह में थे और सरकार ऐसे एक्ट करती है इसको बेलैन्स कैसे करें, इसको संतुलित कैसे करंे, कांग्रेस सरकार यह कर रही है कि दोष किसी ने किया लेकिन बाकी निर्दोषों को भी पकड़के यह साबित करो कि दोनों तरफ की गलती थी।
कांग्रेस सरकार के शासन में राजस्थान में घुसपैठ करने वालों को संरक्षण मिला है, इसी के कारण घुसपैठियों के हौसले बुलंद होते हैं। मुझे लगता है कि थानों की पंचलाइन बदल देनी चाहिए, अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास नहीं रहा, बल्कि आमजन में भरोसा टूटा है और अपराधियों में भरोसा बढ़ा है।
राजस्थान के इतिहास में वर्तमान में जो कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति है वह कभी नहीं देखी, लगातार बढ़ते अपराध, सात लाख से अधिक दर्ज मुकदमे, दलितों और महिलाओं पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वादाखिलाफी व झूठे वादों के कारण प्रदेश की जो समस्याएं हैं, किसान कर्जा माफी, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी इत्यादि जनहित के बड़े मुद्दे हैं, इस समय पेयजल और बिजली की त्राहि-त्राहि है, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, कुल मिलाकर प्रदेश में अराजकता का माहौल है।
मेरा सवाल है कि जब जब कांग्रेस की सरकार आती है तो इतने बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं क्यों होती हैं? शांतिप्रिय जोधपुर में इस तरीके की हिंसात्मक घटना होती है, जहां से मुख्यमंत्री आते हैं और वह गृहमंत्री भी हैं, इस शहर से वह विधायक भी हैं।
मुख्यमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी थी कि उनको यहां आना चाहिए था, लेकिन उनको कांग्रेस के चिंतन शिविर की चिंता ज्यादा है, जोधपुर शहर के लोगों की सुरक्षा की उनको कोई चिंता नहीं है।