पूर्वी राजस्थान में कमल और मुरझा
जयपुर। पूर्वी राजस्थान में बीजेपी अब खाली हाथ है। शोभारानी कुशवाह को पार्टी से निकाले जाने के बाद पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों में बीजेपी का अब कोई विधायक नहीं बचा है। पार्टी यहां नये नेताओं की खोज में जुटी है। वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने साफ-साफ कहा है कि बीजेपी समंदर है। यहां किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। बीजेपी को अब इस इलाके को फतह करने के लिए नये सिरे से रणनीति बनानी होगी। जाति, क्षेत्र और वर्ग का संतुलन साधना होगा तब कहीं फिर से चंबल के बीहड़ों और डांग के जंगलों के बीच स्थि ब्रजभूमि में उसकी विजय पताका फहरेगी।
पूर्वी राजस्थान में कमल और मुरझा गया है। धौलपुर जिले से एक मात्र बीजेपी विधायक शोभारानी कुशवाह को पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया है। शोभारानी ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के बजाय कांग्रेस प्रत्याशी को वोट डाला था। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का दावा है कि पार्टी किसी एक नेता से नहीं चलती है। सिद्धान्तों से समझौता करने वालों को बीजेपी कभी नहीं बख्शती है। लिहाजा बीजेपी वक्त रहते इसकी भरपाई करेगी।
4 जिलों में 2018 के चुनाव में बीजेपी एक भी विधायक नहीं जीता पाई थी
पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों से राज्य की विधानसभा में बीजेपी का अब एक भी विधायक नहीं है। दौसा, भरतपुर, करौली और सवाईमाधोपुर में बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में एक भी विधायक नहीं जीता पाई थी। धौलपुर से अकेली शोभारानी चुनाव जीती थी। उसे अब पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन सबके बावजूद बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि गहलेात सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी है। लिहाजा उसे अगले चुनाव में जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
पूर्वी राजस्थान से गहलोत सरकार में आधा दर्जन मंत्री हैं।
बीजेपी के लिए पूर्वी राजस्थान की डगर इतनी आसान भी नहीं है। गहलोत सरकार में इस इलाके से आधा दर्जन मंत्री हैं। वहीं कइयों को निगमों और बोर्डों में जिम्मेदारी देकर गहलोत सरकार ने इस इलाके में अपनी पकड़ कमजोर मजबूत कर रखी है। जाहिर है कि 2023 में बीजेपी का सूरज पूरब से उदय नहीं हुआ तो उसके लिए फिर सत्ता की मंजिल दूर हो जायेगी।