जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान को 90ः10 के अनुपात में राशि उपलब्ध कराए केन्द्र – जलदाय मंत्री

जयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां विषम हैं। यहां छितराई हुई बसावट है। प्रदेश का दो-तिहाई हिस्सा थार रेगिस्तान का भाग है और दक्षिण में पहाड़ी भाग है। ऎसे में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी व विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की तरह ही राजस्थान को जल जीवन मिशन में 90ः10 के अनुपात मे फण्डिंग केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाए।

डॉ. जोशी होटल जय महल पैलेस में आयोजित जल जीवन मिशन के कायोर्ं की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने की। जलदाय मंत्री ने कहा कि प्रदेश की 42 प्रतिशत योजनाएं पूर्णतः भू-जल आधारित हैं और करीब 75 प्रतिशत ब्लाक्स में भू-जल की स्थिति अत्यधिक दोहरी एवं विषम है। विस्तृत भू-भाग होने के कारण पेयजल योजनाओं में पाईपलाइन के माध्यम से प्रत्येक घर तक जल पहुंचाने में आनुपातिक मात्रा, कीमत एवं समय ज्यादा लगता है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में प्रति जल संबंध की लागत करीब 20 से 35 हजार रूपए आती है, जबकि राजस्थान में यह लागत लगभग 50 हजार से एक लाख रूपए तक आती है।

जलदाय मंत्री ने कहा कि बारां, झालावाड़ एवं कोटा की परवन जलापूर्ति परियोजना, बाड़मेर जिले में नर्मदा नहर आधारित परियोजना के लिए राजस्थान ग्रामीण जलापूर्ति और फ्लोरोसिस शमन परियोजना (चरण-द्वितीय), झुन्झुनूं जिले के आईजीएमसी आधारित (सीपी-प्रथम) सूरजगढ़ और उदयपुरवाटी को नल द्वारा जल उपलब्ध करवाने हेतु योजना, जिला चित्तौड़गढ़ के 648 गांवों को चम्बल नदी से पेयजल आपूर्ति की परियोजना, ईसरदा-दौसा पेयजल जलापूर्ति परियोजना, नौनेरा जलापूर्ति परियोजना, चम्बल नदी से जलापूर्ति योजना जैसी वृहद् परियोजनाओं का कार्य 24 माह में पूर्ण होना संभव नहीं है।

डॉ. जोशी ने कहा कि मिशन के शुरूआती दिनों में मार्च 2020 से जुलाई 2020 तक कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण जल जीवन मिशन की गति काफी धीमी रही। इसके बाद वर्ष 2021 में भी कोविडजन्य परिस्थितियों के कारण मार्च 2021 से जुलाई 2021 तक मिशन के कार्य आंशिक रूप से बाधित रहे। इसके बावजूद राज्य सरकार ने भरसक प्रयास करके मिशन को आगे बढ़ाया है।

जलदाय मंत्री ने कहा कि रूस तथा यूक्रेन से युद्ध के कारण कई वस्तुओं के दाम में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इससे कार्यों के क्रियान्वयन में भी कठिनाइयां आ रही है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में चल रहे मिशन के कार्यों के कारण परियोजना के घटकों की मांग में काफी वृद्धि हुई है। विशेष रूप से स्टील, डीआई एवं एचडीपीई पाइपों की मांग तेजी से बढ़ी है। इन कारणों से जल जीवन मिशन की परियोजनाओं की प्रगति धीमी हुई है। इन परिस्थितियों में उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार जल जीवन मिशन को पूरा करने की समय सीमा मार्च 2026 तक बढ़ाए।

डॉ. जोशी ने कहा कि जल जीवन मिशन के कार्य राजस्थान में अपेक्षित गति से चल रहे हैं और जो कमियां रही हैं उन्हें दूर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च माह तक 25.20 लाख परिवारों को इस योजना से लाभान्वित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 32.64 लाख परिवारों को जल संबंध जारी करने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुल 43,364 गांवों से 43,272 गांवों में ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समिति गठित करने में राजस्थान को देश में पहला स्थान प्राप्त है। जलदाय मंत्री ने कहा कि परिस्थितियां ऎसी हैं कि कई जिलों में सतही जल स्त्रोत से पेयजल पहुंचाना अत्यंत कठिन कार्य है। उन्होंने जल जीवन मिशन में रेट्रोफिटिंग योजनाओं को पूर्ण करने की तिथि मार्च 2022 तक बढ़ाने का आग्रह केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से किया।

जलदाय मंत्री ने 13 जिलों को लाभांवित करने वाली ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का आग्रह करते हुए कहा कि इन 13 जिलों में भूजल अति दोहित की श्रेणी में है और भूजल की गुणवत्ता भी मानकों के अनुरूप अच्छी नहीं होने से ईआरसीपी के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है। डॉ. जोशी ने अभियंताओं को निर्देश दिए कि उनके क्षेत्र के सांसदों से समन्वय स्थापित कर उनके सुझावों और समस्याओं के बारे में जानकारी लेकर व्यावहारिकता के आधार पर उनके समाधान का प्रयास करें। उन्होंने स्वीकृत योजनाओं की जानकारी सांसदों, विधायकों एवं अन्य जन प्रतिनिधियों को देने के भी निर्देश दिए।

अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ सुबोध अग्रवाल ने बैठक की शुरूआत में सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जो राज्य वर्तमान में राजस्थान से प्रगति में आगे हैं, उन राज्यों में पहले से ही जल संबंधों की मात्रा राजस्थान के मुकाबले काफी ज्यादा थी। जल जीवन मिशन की शुरूआत के समय अगस्त 2019 में गुजरात में 71 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 44 प्रतिशत, पंजाब में 49 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 33 प्रतिशत तथा हरियाणा में 57 प्रतिशत जल संंबंध मौजूद थे। जबकि उस समय राजस्थान में मात्र 10 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ही जल संबंध से जुड़ेे हुए थे। उन्होंने संबंधित अधीक्षण अभियंताओं एवं अन्य अधिकारियों को एक सप्ताह में सांसदों से मिलकर उनके सुझावों एवं समस्याओं की जानकारी लेने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में सुधार के कदम उठाते हुए कायोर्ं को गति बढ़ाई जाएगी। केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव डीडीडब्लूयएस अरूण बरोका ने जल जीवन मिशन के तहत 2019 से 2022 तक राजस्थान की प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने शेष कायोर्ं में तेजी लाने पर जोर दिया। बैठक में आए विभिन्न सांसदों ने जल जीवन मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

इस अवसर पर एमडी, जल जीवन मिशन प्रताप सिंह, मुख्य अभियंता (तकनीकी) संदीप शर्मा, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) आर के मीणा, मुख्य अभियंता (विशेष परियोजना) दिलीप गौड़ सहित अन्य मुख्य अभियंता, एसीई एवं अधीक्षण अभियंता उपस्थित थे।

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