अशोक महान है,जादूगरी ने फिर अपना कमाल दिखाया
क्षेत्रफल के लिहाज़ से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में पिछलें करीब एक पखवाड़े से राज्यसभा के चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा में चल रहें घमासान का शुक्रवार शाम को पटाक्षेप हो गया। उम्मीद के अनुरूप कांग्रेस के तीनों अधिकृत उम्मीदवार रणजीत सुरजेवाला,मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी और भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी विजयी घोषित किए गए।इस प्रकार प्रदेश में कांग्रेस को तीन सीटों का फ़ायदा होने से अब राज्यसभा में राजस्थान की दस में से छह सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हों गया है जबकि एक समय ऐसा भी था जब संसद के दोनों सदनों में राजस्थान से कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं था।
इस चुनौतीपूर्ण चुनाव के इम्तिहान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू एक बार फिर से चलता हुआ दिखाई दिया जिसके कारण कांग्रेस और उनके समर्थित सभी निर्दलीय और समर्थित दलों का एक भी मत क्रॉस वोट नहीं हुआ जबकि भाजपा की धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाहा ने क्रॉस वोट किया और प्रकियागत ग़लतियाँ कर भाजपा के मतों को बर्बाद किया ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संघर्षपूर्ण चुनाव में अपनी पार्टी के तीनों उम्मीदवारों को जीता कर कांग्रेस में विशेष कर अपने हाई कमान तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की नज़रों में अपना कद कई गुणा बढ़ा लिया हैं। गहलोत अपने हाईकमान की उम्मीदों पर खरे उतरने में सफल हुए है जबकि राज्यसभा के तीनों कांग्रेसी उम्मीदवारों के राजस्थान से बाहर के होने से शुरू में असंतोष के स्वर भी उठे थे। इसके अलावा देश के जाने माने पत्रकार उद्योगपति जी टीवी के मुखिया सुभाष चंद्रा की इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हुई एंट्री और भाजपा द्वारा उन्हें समर्थन की घोषणा कर अपने विधायकों से उनका नामांकन भरवाने से गहलोत के सामने चुनाव की एक बड़ी चुनौती और परीक्षा कई गुणा बढ़ गई थी लेकिन पिछलीं बार की भाँति पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री वेणु गोपाल और नीरज डांगी को प्रदेश से चुनाव जीता कर संसद के उच्च सदन में ले जाने की तरह इस बार भी उन्होंने कई बाधाओं को पार करते हुए अपनी सटीक चुनाव रणनीति के सहारे राज्यसभा के चुनाव में विजय हासिल कर एक बार फिर से भाजपा को करारा जवाब दिया है। गहलोत ने पिछली बार अपनी सरकार पर आयें संकट की तरह इस बार भी विपरीत दिखने वाली परिस्थितियों में सफलता हासिल कर यह दिखा दिया है कि हक़ीक़त में अशोक महान है….जबकि प्रदेश में भाजपा ढलान पर खिसक कर रह गई है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बार भी चुनाव में भाजपा की गुटबाज़ी और अंतर्कलह के सतह पर आने चुनाव रणनीति की कमी से उन्हें इस चुनाव में दो वोटों का नुक़सान उठाना पड़ा है और उनकी एकजुटता की कलई भी खुल गई है। भाजपा के राजनीतिक कुप्रबंधन का एक नमूना धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह की क्रास वोटिंग और अन्य दो विधायकों द्वारा की गई त्रुटियाँ में दिखा। चुनाव से पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियाँ विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया और उप नेता राजेन्द्र राठौड़ आदि नेता और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा बढ़ चढ़ कर जो बयान दें रहें थे आज उनके सुर बदल गए है।
अंततोगत्वा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यसभा चुनाव में अपनी नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गाँधी के पसंदीदा उम्मीदवारों को जीता कर अपनी जादूगरी का कमाल फिर से दिखा दिया है जिसके दूरगामी परिणाम डेढ़ साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकते हैं।