हर मनुष्य के लिए कब मुमकिन अच्छा भोजन, सही सेहत?

7 जून- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस

स्वास्थ्य ही धन है। सुरक्षित भोजन करना अच्छे स्वास्थ्य की सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। जीवन को बनाए रखने और उत्कृष्ट स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त सुरक्षित और पौष्टिक भोजन करना महत्वपूर्ण है। असुरक्षित खाद्य पदार्थ विभिन्न बीमारियों के कारण हैं। और खराब वृद्धि व विकास, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, संचारी या गैर-संचारी रोगों और मानसिक बीमारी सहित अन्य खराब स्वास्थ्य स्थितियों में योगदान करते हैं। खाद्य जनित रोग स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव डालकर और देश की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव डालकर सामाजिक आर्थिक विकास को बाधित करते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संसार में प्रतिवर्ष दस में से एक व्यक्ति दूषित खाद्य या बैक्टीरिया युक्त खाद्य अर्थात खाद्य जनित बीमारियों से प्रभावित होता है। पूरे विश्व में यह आंकड़ा साठ करोड़ के पार कर जाता है। संसार में विकसित और विकासशील देशों में हर वर्ष भोजन और जलजनित बीमारी से लगभग तीस लाख लोगों की मौत हो जाती है। मृत्यु के इस आंकड़े को कम करने के लिए ही खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता के प्रति विशेष ध्यान दिया जाता है।

लोगों को खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व भर में 7 जून को प्रतिवर्ष विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। खाद्य सुरक्षा, खाद्य सामग्री के उपभोग से पूर्व फसल के उत्पादन, भंडारण और वितरण तक खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक चरणों अर्थात हर स्टेप के पूर्ण रूप से सुरक्षित होने की सुनिश्चितता प्रदान करती है। हर वर्ष इस दिन के लिए एक थीम यानी विषय तय किया जाता है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के लिए इस वर्ष 2023 की थीम तय की गयी है -सुरक्षित भोजन, बेहतर स्वास्थ्य अर्थात सेफ़र फ़ूड बेटर हेल्थ। यह थीम सुरक्षित भोजन के उत्पादन और उपभोग पर केंद्रित है। भोजन के सुरक्षित होने से लोगों, ग्रह और अर्थव्यवस्था को तत्काल रूप से और लम्बे समय तक लाभ होता है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के दिन आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम तय की गयी थीम पर ही आधारित होंगे।

खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि, बाजार पहुंच, पर्यटन और सतत विकास में योगदान देने वाले खाद्य जनित जोखिमों को रोकने, पता लगाने और प्रबंधित करने में मदद करने के लिए ही 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। कोरोना काल के बाद खाद्य सुरक्षा और विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की महता और भी बढ़ गई है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा और विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। और सुरक्षित खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुँचाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

खाद्य सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 7 जून को मनाये जाने की घोषणा दिसम्बर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा खाद्य और कृषि संगठन के सहयोग से की गयी थी। यह खाद्य जनित रोगों के संबंध में दुनिया पर पड़ने वाले वैश्विक बोझ को पहचानने के लिए था, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, विशेष रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों और निम्न में रहने वाले लोगों को।

यह पहली बार वर्ष 2019 में द फ्यूचर ऑफ फूड सेफ्टी के तहत अदीस अबाबा सम्मेलन और जिनेवा फोरम द्वारा 2019 में की गई खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को मज़बूत करने के लिये मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं खाद्य और कृषि संगठन इस क्षेत्र से संबंधित अन्य संगठनों के सहयोग से विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया में खाद्य जनित बीमारियों के बोझ को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने का निर्णय लिया है। वर्ष 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खाद्य जनित बीमारी के बोझ को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा पहलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। खाद्य सुरक्षा के लिए सरकारों, उत्पादकों और उपभोक्ताओं सभी की जिम्मेदारियां हैं।

खेत से लेकर खाने की थाली अर्थात डाइनिंग टेबल तक, हमारे द्वारा ग्रहण की जाने वाली भोजन सुरक्षित और पौष्टिक है, यह सुनिश्चित करने में हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सार्वजनिक एजेंडे में खाद्य सुरक्षा को मुख्यधारा में लाना चाहता है, और विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के माध्यम से खाद्य जनित बीमारी के वैश्विक बोझ को कम करना चाहता है। खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, और स्वास्थ्य व दीर्घकालिक विकास के लिए एक शर्त है। सभी के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह अभियान जागरूकता बढ़ाता है और खाद्य सुरक्षा समस्याओं से बचने, पता लगाने और प्रबंधन में मदद करने के लिए कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के माध्यम से खाद्य सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने और खाद्य जनित बीमारी के बोझ को कम करने के लिए वास्तविक कार्रवाई करने के लिए खाद्य श्रृंखला में सभी को शामिल करके खाद्य सुरक्षा को मुख्यधारा में लाने के अपने प्रयासों को जारी रखता है।

खाद्य सुरक्षा मानव स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ती हुई चिंता बनती जा रही है। खाद्य जनित बीमारी पांच साल से कम उम्र के 40% बच्चों को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप हर साल 125 000 मौतें होती हैं। विशेषकर महिलाएं और बच्चे, दूषित या निम्न-गुणवत्ता वाले भोजन के परिणामस्वरूप पीड़ित होते हैं। असुरक्षित भोजन मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। अस्वास्थ्यकर भोजन से उत्पन्न होने वाली बीमारियाँ सबसे कमजोर लोगों और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों, विशेषकर बच्चों, महिलाओं और संघर्षों के शिकार लोगों को प्रभावित करती हैं। ये बीमारियाँ दूषित भोजन और पानी में मौजूद परजीवी, वायरस और बैक्टीरिया के कारण होती हैं, जो सामान्य आँखों से दिखाई नहीं देते हैं।

खाद्य सुरक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक चरण में भोजन सुरक्षित और स्वच्छ रहे। कटाई और प्रसंस्करण से लेकर भंडारण और वितरण तक, भोजन उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले सुरक्षित रहना चाहिए। इसलिए आम जनता को न केवल उत्कृष्ट भोजन खाने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी पहचान करना और सुरक्षित खाद्य मानकों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। बहरहाल अन्य देशों की भांति भारत भी अपने नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए कृतसंकल्पित है, और केंद्र के कई विभाग मिलकर इस पर सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों में खाद्य संबंधित मुद्दों को संभालने वाले विभिन्न कार्यों व आदेशों को समेकित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत स्थापित भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है, जो इस पर कार्य कर रही है। उम्मीद है इसके प्रयासों से देश के विशेषकर बच्चों, महिलाओं और कमजोर व संघर्षों के शिकार लोगों, समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को दूषित भोजन से निजात मिलेगी।

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