जहरीली हवाओं से किशोरों को बचाना होगा
वायु प्रदूषण के विनाशकारी परिणाम सांस लेने से कहीं अधिक हैं। एक शोध के अनुसार यह चिंता, मनोभ्रंश, अवसाद और आपराधिक व्यवहार से भी जुड़ा है। किशोरों पर हुए एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से उनमें आपराधिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं, जिस पर समय रहते नियंत्रण जरूरी है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ एब्नार्मल चाइल्ड साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
‘हवा में हर तरफ जहर ही जहर है
जिसे देखो वो कैद, आज अपने घरों में है।
पर्यावरण प्रदूषण 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी समस्या है। दिनोंदिन बढ़ती जनसंख्या औद्योगीकरण, शहरीकरण और अनियोजित विकास इस समस्या में इजाफा कर रहे हैं। प्रदूषण के कारण भूमि, आकाश, जल, वायु सब प्रदूषित हो रहा है। लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ के चलते किसी को इसकी चिंता नहीं कि आने वाली पीढ़ी और वर्तमान जनसंख्या इसके लिए कितनी भारी कीमत अदा कर रहे हैं।
प्रदूषित हवा और उसके प्रभाव को जानने के लिए, वैज्ञानिक नित नए शोध में जुटे हुए हैं। लेकिन हाल में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रदूषित हवा का अपराध से भी गहरा ताल्लुक है। क्योंकि वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों की चिंताएं बढ़ जाती हैं। तनाव और हार्मोन कार्टिसोल में वृद्धि का असर उनके मस्तिष्क को प्रभावित करने लगता है। उनमें बेचैनी और कसमसाहट होती है और वे अनैतिक और आपराधिक व्यवहार करने लगते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह आपके अनैतिक व्यवहार के लिए जिम्मेदार भी है। ‘एक्सपेरिमेंटल स्टडीज के अनुसार, वायु प्रदूषण शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से हमारे अनैतिक व्यवहार से जुड़ा हुआ है।
न्यूयॉर्क के ‘कोलंबिया बिजनेस स्कूल में हुए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन स्थानों पर प्रदूषित हवा का स्तर ज्यादा है, वहां अपराध की दर भी अधिक है। शोध के लेखक, डॉ. जैक्सन जी लूू कहते हैं, वायु प्रदूषण न केवल लोगों की सेहत खराब करता है, बल्कि उनकी नैतिकता को भी दूषित कर सकता है। हमने पाया कि हवा में मौजूद जहरीले तत्व सेहत और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ लोगों के व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं। वहीं ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्सÓ द्वारा किए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण लंदन में अपराध दर में वृद्धि हुई है। बड़े अपराध नहीं, बल्कि दुकानों में चोरी और जेबकतरी जैसे कम गंभीर अपराध ही ऐसे अपराध हैं, जिन पर वायु गुणवत्ता का अधिक प्रभाव पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने प्रदूषण के आंकड़ों का उपयोग करके अपराध पर वायु प्रदूषण के प्रभाव की गणना की और इसकी तुलना 2004-2005 के दौरान लंदन में दर्ज 1.8 मिलियन आपराधिक अपराधों से की। फिर उन्होने उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों में तनाव, हार्मोन कार्टिसोल में वृद्धि देखने के बाद वायु प्रदूषण और अपराध के बीच एक संबंध स्थापित किया। शोध इस बात की पुष्टि करता है कि किशोरों का आक्रामक व्यवहार और अपराध के बीच भी गहरा संबंध है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से किशोरों में बेचैनी बढ़ती है, जो उन्हें आपराधिक कृत्य के लिए उकसाती है। अब तक के साक्ष्य बताते हैं कि वायु प्रदूषण में बुरे व्यवहार को बढ़ाने की क्षमता अधिक है। बचपन में वायु प्रदूषण का सामना करने वाले बच्चों में किशोरावस्था में अवसाद, व्यग्रता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उस समय उत्पन्न हुई यह समस्याएं उनके समूचे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं और उनके विकास की राह में बाधक बन सकती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर की वजह से छोटे और विषैले कण विकसित हो रहे मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे मस्तिष्क में सूजन होती है। इससे भावना और फैसले लेने के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क के हिस्से को नुकसान पहुंचता है। यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ एब्नार्मल चाइल्ड साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। यह रिसर्च स्वच्छ हवा के महत्व को बताने वाली एक चेतावनी है, जो यह दिखाती है कि शहरी क्षेत्रों में हरियाली की कितनी जरूरत है। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाली शोधकर्ता डायना योनान के अनुसार, प्रदूषण के लिए जिम्मेदार छोटे कणों को पार्टिकुलेट मैटर भी कहा जाता है। यह कण एक बाल के किनारे से भी 30 गुना छोटा होता है। यह कण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं।
अमेरिका की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्नियाÓ की रिसर्च एसोसिएट योनान ने कहा, यह छोटे विषैले कण हमारे शरीर के भीतर प्रवेश करके हमारे फेफड़ों और दिल को प्रभावित करते हैं। उनके अनुसार पीएम 2.5 खासकर विकसित हो रहे मस्तिष्क के लिए नुकसानदायक होते हैं। क्योंकि यह मस्तिष्क की संरचना और तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाने के साथ ही किशोरों के व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं। समय-समय पर हुए बहुत सारे अध्ययन यह बताते रहे हैं कि वायु प्रदूषण मस्तिष्क की गतिविधियों को प्रभावित करने में सक्षम है। अपराध को बढ़ावा देने के अलावा, यह मानसिक स्वास्थ्य में भी गंभीर गिरावट ला सकता है। मार्च 2019 के एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि जहरीली, प्रदूषित हवा के संपर्क में आने वाले किशोरों में मनोवैज्ञानिक घटनाओं का जोखिम अधिक होता है। जैसे कि आवाजें सुनना या घबराहट। लेड के बारे में कहा जाता है कि यह व्यवहार बदल डालता है। इससे सीखने और समझने में दिक्कत आती है। यह बच्चों के इंटेलीजेंट क्योंशेंट को कम कर देता था। शंघाई में एक अध्ययन के दौरान पाया गया कि सल्फर डाईऑक्साइड की अधिक मात्रा, जब हवा में होती है, तब अस्पतालों में मनोरोगियों की संख्या बढ़ जाती है। ज्यादातर अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि है कि वायु प्रदूषण तनाव और व्यग्रता को बढ़ाता है और आप अनैतिक कार्यों की
ओर आसानी से अग्रसर हो जाते हैं।
‘कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी और ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के जेसी बर्कहार्ट और उनके सहयोगियों द्वारा लिखे गए एक शोध पत्र के अनुसार, गंदी हवा में सांस लेना आक्रामक व्यवहार से जुड़ा हुआ है। अत्यधिक प्रदूषित हवा किशोरों में 7 दिनों के भीतर आत्महत्या के जोखिम को बढ़ा सकती है। किशोरों की सेहत पर हुआ एक अध्ययन इस बात की भी पुष्टि करता है कि प्रदूषित हवा का किशोरों के रक्तचाप पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ‘पीएलओएस वन पत्रिकाÓ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार नाइट्रोजन डाइआक्साइड के उच्च स्तर के संपर्क में आने से किशोरों में निम्न रक्तचाप की समस्या होती है। पार्टिकुलेट मैटर 2.5, जिसे कण प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है, के संपर्क में आने से किशोरों में रक्तचाप बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका प्रभाव काफी बड़ा है। अन्य अध्ययनों में भी रक्तचाप में परिवर्तन और प्रदूषण के बीच संबंध पाया गया है। शोधकर्ताओं ने 3200 से अधिक किशोरों से आंकड़े लिए और उनके रिकॉर्ड की तुलना उनके निवास स्थान के वार्षिक प्रदूषण स्तर के आधार पर उनके प्रदूषण के संपर्क से की। उन्होंने पाया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण सबसे ज्यादा ट्रैफिक से जुड़े उपोत्पादों से जुड़ा है। यह किसी व्यक्ति की सांस लेने की क्षमता को खराब कर सकता है और मानव श्वसन पथ को नुकसान पहुंचा सकता है। यातायात, हीटिंग, उद्योग आदि से होने वाले वायु प्रदूषण के अलावा किशोरों के स्वास्थ्य को अन्य वायुजनित प्रदूषकों और रसायनों से भी खतरा होता है। किशोर इन प्रदूषकों के संपर्क में घर के अंदर और बाहर दोनों जगह आ सकते हैं। इन अध्ययनों के आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि वायु प्रदूषण को कम करने से किशोर अपराध में कमी आ सकती है। प्रदूषित हवा के प्रभाव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ज्ञात प्रभावों से कहीं आगे तक जाते हैं। फिर भी कई देशों में वायु प्रदूषण उच्च बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में दस में से नौ लोग अब जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। लेकिन अब तमाम शोध और अध्ययन के आधार पर हमारे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि खराब वायु गुणवत्ता हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खराब है। इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों द्वारा अधिक टिकाऊ परिवहन, कुशल और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और उपयोग तथा अपशिष्ट प्रबंधन विकसित करके ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि हमारे देश के भविष्य और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा की जा सके ।
गीता यादव
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार,
24, प्रेम नगर, सांगानेर, जयपुर
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