खामोशी से दिल पर हो रहा है आघात 

गीता यादव, वरिष्ठ पत्रकार
विश्व हृदय दिवस पर विशेष-  मौजूदा समय में, साइलेंट हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या में, काफी बढ़ोत्तरी हुई है। ये हार्ट की एक गंभीर समस्या है, जिसमें कई मामलों में मरीज की मौके पर ही मौत हो जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि बदलती जीवन-शैली, कामकाजी तनाव, शारीरिक श्रम की कमी और व्यायाम न करना इसका एक अहम कारण हो सकता है।
भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। आंकड़ों पर गौर करें, तो गत दस वर्षों में, भारत में करीब सवा दो लाख लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है। इनमें 25 से 60 साल के आयु वर्ग के लोग, इस बीमारी से सबसे ज्यादा जान गंवा रहे हैं।
यदि हार्ट अटैक से होने वाली मौत के आंकड़ों पर प्रतिशत में गौर करें, तो पूरी दुनिया में हुई मौत का 32 प्रतिशत हिस्सा अकेले हार्ट अटैक का है। आंकड़ों का विश्लेषण यह भी बताता है कि इन 1 करोड़,़ 79 लाख लोगों में 1 करोड़, 52 लाख लोग ऐसे हैं, जिनको अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। बीते दिनों कई बड़ी हस्तियों का निधन भी दिल की बीमारियों की वजह से ही हुआ है। दिल की बीमारी के चलते डांस करते, बात करते, जिम में वर्कआउट करते, लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है और उनकी मौत हो रही है।
 हार्ट अटैक को लेकर डॉक्टरों का मानना है कि, बीते कुछ सालों में साइलेंट हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे हैं। ये एक गंभीर समस्या है, जिसमें कई मामलों में आपको इतना भी मौका नहीं मिलता कि आप अस्पताल पहुंच पाएं।
 वरिष्ठ ह़्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक माथुर ने बताया कि मेडिकल की दुनिया में हार्ट अटैक को साइलेंट किलर कहा जाता है।  नाम के अनुसार ही यह साइलेंट होता है। इसके लक्षण आम अटैक की तरह नहीं होते हैं। जैसे आप डायबिटिक हैं, आपको बहुत हल्का सा दर्द हुआ और आपको पता ही नहीं चला। आपने उसे नजरअंदाज कर दिया और डॉक्टर के पास गए ही नहीं। तीन महीने बाद डॉक्टर ने ईसीजी की, तो बताया कि आपको हार्ट अटैक हुआ है। उन्होंने बताया कि साइलेंट हार्ट अटैक, इतने सामान्य होते हैं कि, मरीज उन पर ध्यान ही नहीं देता। यही कारण है कि मरीज को डॉक्टरी सहायता मिलने में भी, देरी हो जाती है। इससे ह्दय की मांसपेशियों में हुआ नुकसान ही, मरीज के जान गंवाने का कारण बन जाता है। इन मामलों में ज्यादातर लोगों की मौत उनकी इसी नासमझी के कारण होती है। उन्होंने बताया कि कि लगभग 25-30 प्रतिशत दौरे साइलेंट होते हैं और डॉक्टर के पास जाने पर ही इसके द्वारा हुए नुकसान का पता चलता है। साइलेंट हार्ट अटैक में आम अटैक की तरह सीने में तेज दर्द और जलन नहीं होती है। हार्ट अटैक आने का सबसे बड़ा कारण है, हार्ट तक ब्लड पहुंचाने वाली धमनियों में वसा के थक्के  जम जाना, जिससे ये ब्लड को उस तक नहीं पहुंचा पाते। ब्लड का सर्कुलेशन रूक जाने से मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में यदि सही समय पर ब्लड का सर्कुलेशन ठीक नहीं किया जाता, तो हार्ट की मांस पेशियों में खून
की गति रूक जाती है। हार्ट अटैक से होने वाली ज्यादातर मौतें इसी थक्के के फट जाने से होती है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के लक्षण यदि आम लोग समझ सकें और समय पर सीपीआर करें तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
 उन्होंने बताया कि लोगों को लगता है कि दिल की बीमारी अधिक उम्र में होती है। परंतु बदलती जीवन शैली, कामकाजी तनाव और शारीरिक सक्रियता के अभाव से नौजवानों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ी है। इसके लक्षणों में, गैस्टिक प्रॉब्लम, पेट की खराबी, बिना वजह सुस्ती और कमजोरी, थोड़ी सी मेहनत में थकान लगना, अचानक ठंडा पसीना आना, बार-बार सांस फूलना होता है। डॉक्टरों के अनुसार फिजिकल एक्टिविटी न करना, मधुमेह और मोटापा, तनाव, ज्यादा ऑयली, फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाना दिल के मरीजों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे बचाव के लिए मरीज को अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना चाहिए। यह ह्दय रोग से बचने के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है। जीवन शैली में सुधार लाने के साथ ही दिल के मरीजों को अपने ह्दय की नियमित जांच करानी चाहिए। अपनी आहार शैली में सुधार, वजन पर नियंत्रण और सक्रिय जीवन प्रक्रिया पर ध्यान देते हुए ह्दय रोगों को टाला जा सकता है। जीवन शैली में सुधार लाने के लिए डाइट में सलाद, सब्जियां अधिक मात्रा में शामिल करें, नियमित रूप में एक्सरसाइज, योगासन करें, सिगरेट, शराब और नशे से दूर रहें, खुश रहें और तनाव से बचें।  साइकिल की सवारी करें, कुछ दूर पैदल चलें।
उन्होंने बताया कि शारीरिक श्रम, जो कभी हमारे जीवन की जरूरत थी, अब वो हम नहीं करते। यही वजह है कि मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप  ह्दय रोग के जोखिम को बढ़ा रही है। वे मानते हैं कि, जीवन के लिए ऑक्सीजन प्राण वायु है और इसके अभाव में चंद मिनटों में जीव मृत हो जाता है। ऑक्सीजन की कमी से हमारे शरीर में अनेक बैक्टीरिया, विषाणु, कवक, परजीवी अपना घर बना लेते हैं और हम बीमार पड़ जाते हैं। ये सभी परजीवी ऑक्सीजन रहित वातावरण में पलते हैं। अच्छे स्वच्छ ऑक्सीजनयुक्त वातावरण में रहने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और ह्दयाघात की आशंका, थकान, बुढ़ापा देर से होता है। किसी काम में मन लगना, स्मरण शक्ति बढ़ना भी स्वच्छ वायु पर निर्भर करता है। इसलिए उन्होंने बताया कि डॉक्टर मानते हैं कि दिल के मरीजों को शरीर में ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ानी चाहिए और इसे कम से कम रोजाना 30 मिनट की दौड़ और व्यायाम आदि से बढ़ाया जा सकता है। इसलिए नियमित रूप से कसरत करें, जिम जाएं या योगासन करें।
 ब्लड प्रेशर के मरीजों को बिना डॉक्टरी परामर्श के वजन उठाने वाली कसरत नहीं करनी चाहिए। ह्दय रोग की आशंका वाले व्यक्ति को भी एक दिन में 30 मिनट से अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए। इसके अलावा दिल के मरीजों को पैकेट बंद खाने की वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। तंबाकु जनित पदार्थ-बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटका अािद का सेवन बंद कर देना चाहिए। खाने की तली वस्तुओं, चिकनाई वाले पदार्थ जैसे मक्खन, घी, वनस्पति,
मलाई, तेल, मीट आदि का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए। दिन में तीन बार के भरपेट भोजन के स्थान पर थोड़ा-थोड़ा पांच या छह बार अल्प मात्रा में खाना चाहिए। चीनी, मिठाई, चॉकलेट, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, मैदा, अचार का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। क्योंकि इससे इससे मधुमेह और रक्तचाप प्रभावित होता है। शाम के समय नाश्ते में समोसा, पकौड़ा, कचौड़ी, हलवा, या अन्य तली वस्तुओं के स्थान पर फल, सब्जी का सूप आदि का सेवन करें। टोंड दूध का सेवन अच्छा है। फुल क्रीम दूध ह्दय के लिए हानिकारक होता है। अंडे की जर्दी, पनीर, आइसक्रीम आदि में संतृप्त वसा का स्तर अधिक होता है। इसलिए इसका कम मात्रा में सेवन करें। उन्होंने बताया कि अपनी जीवन शैली में सुधार करके साइलेंट हार्ट अटैक के जोखिम को टाला जा सकता है।

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