जयपुर का नया मास्टर प्लानः अब राष्ट्र स्तर की फर्म विशेष को ठेका देने की तैयारी

जयपुर। राजधानी जयपुर का मौजूदा मास्टर प्लान वर्ष 2025 में पूरा हो रहा है। इसलिए नया मास्टर प्लान बनाया जाना जरूरी है। लेकिन, इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। इसके लिए बनी कमेटी की पिछले एक साल में आधिकारिक बैठक तक नहीं हो पाई है।
यह कमेटी राज्य सरकार में मुख्य नगर नियोजक रह चुके एच. एस. संचेती की अध्यक्षता में बनी हुई है। देरी की वजह यह है कि नए मास्टर प्लान के लिए ऐसी शर्तें बनाई जानी हैं ताकि फर्म विशेष को नया मास्टर प्लान बनाने का ठेका मिल सके। इसके लिए जेडीए अधिकारियों पर ऊपरी दबाव बनाया जा रहा है।

जेडीए अधिकारियों का कहना है कि सुंदर सी किताब बनाने के बजाय नया मास्टर प्लान ऐसा बनाया जाए जिससे कोई अनपढ़ नागरिक या पढ़ा-लिखा डवलपर भी अपने प्लॉट या संपत्ति का उपयोग मोबाइल पर ही एक क्लिक में देख सके। क्योंकि डिजिटल इंडिया के तहत केंद्र सरकार करोड़ों रुपए का अनुदान इस काम के लिए रिफॉर्म्स के रूप में दे रही है।
जेडीए अधिकारियों ने अब ठान लिया है कि ऐसे माहौल में जब सरकार आए दिन कोटा, रुडसिको और जलदाय विभाग में करोड़ों रुपए के टेंडर कार्य आदेश जारी होने के बाद निरस्त कर रही है। तो नए मास्टर प्लान की शर्तों को किसी भी प्रकार के दबाव में फर्म विशेष के लिए नहीं बनाया जाएगा।

इधर, अब कई फर्मों की निगाह नए मास्टर प्लान पर टिकी हैं। नए मास्टर प्लान को लेकर चुपचाप कहां बैठकें हो रही हैं। नए मास्टर प्लान में फर्म विशेष के लिए शर्तें कौन तैयार कर रहा है। इस पर संबंधित फर्मों की निगाह बनी हुई है। कोई बड़ी बात नहीं कि फर्म विशेष के लिए बनाई गई एक तरफा शर्तों के कारण यह टेंडर भी रद्द करना पड़े।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में शाहजहांपुर-नीमराना-बहरोड के पीएनआईआर क्षेत्र का मास्टर प्लान राष्ट्रीय स्तर की फर्मों ने ऐसा बनाया कि सैकड़ों किसान इसके विरोध में उतर आए थे। बड़े-बड़े सपने दिखाकर रीको ने इस क्षेत्र की हजारों बीघा भूमि अवाप्त कर ली थी।
यह जमीन आज भी रीको के गले की फांस बनी हुई है। उस मास्टर प्लान की बेतुकी प्लानिंग के कारण पिछले 10 साल में एक भी योजना इस क्षेत्र में नहीं आ पाई है। ऐसा ही हाल फर्म विशेष को फायदा पहुंचाने के चक्कर में जयपुर के नए मास्टर प्लान का होने की आशंका है।

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