छह दिन में 30 हजार जयपुरवासियों ने मसाला मेला का किया विजिट, 1 करोड़ रूपये से अधिक के मसालों की हुई बिक्री

जयपुर। प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला, 2023 का आयोजन सहकारिता विभाग का एक अनूठा प्रयास है जिसके माध्यम से हम शुद्ध मसालों एवं खाद्य पदार्थों को आमजन की रसोई तक पहुंचा कर वर्तमान एवं आगे की पीढ़ी के स्वास्थ्य को समृद्ध बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मेले के माध्यम से हम एक ही छत के नीचे प्रदेष के सभी क्षेत्रों के साथ-साथ केरल, तमिलनाड़ु, पंजाब जैसे राज्यों के विषिष्ट मसालों एवं उत्पादों को पूर्ण शुद्धता के साथ उचित मूल्य पर उपलब्ध करा रहे हैं।

श्रीमती गुहा ने बुधवार को बताया कि जवाहर कला केन्‍द्र में 07 मई तक आयोजित हो रहे राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला-2023 मेलें में 30 हजार से अधिक लोगों ने विजिट किया है। सहकारिता का मूल उद्देष्य आमजन को गुणवत्तापूर्ण एवं विष्वसनीय सेवाओं के माध्यम से सहकारिता की भावना को साकार करना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में और नवाचारों के माध्यम से राज्य में सहकारिता एक विषिष्ट पहचान कायम करेगा।

महाप्रबंधक उपभोक्ता संघ अनिल कुमार ने बताया कि मेले में जयपुरवासियों द्वारा अपनी आवष्यकता के अनुसार मसालों एवं अन्य उत्पादों की खरीद की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेले में प्रतिदिन औसतन 18 से 20 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई है और छह दिनों में 1 करोड़ से अधिक मूल्य के मसालों की बिक्री हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को रोजाना लकी ड्रा निकाला जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मेले में लोगों को बूंदी एवं बारां का चावल जिसे राजस्थान का बासमती चावल भी कहा जाता है, बहुत लुभा रहा है। गृहणियां विषेष तौर बूंदी के इस बासमती चावल की खरीददारी कर रही हैं। मेले में केरल से आई मार्कफैड के स्टॉल पर काली मिर्च, इलायची, लोंग, बड़ी इलायची, जावित्री, काजू, दालचीनी सहित केरल राज्य के विषेष उत्पाद लोगों के मन को भा रहे हैं। कॉनफैड़ द्वारा पहली बार जैविक मसालों एवं जैविक कुकीज की बिक्री की जा रही है जिसे लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में पसंद किया गया है।

उन्होंने बताया कि उतराखंड से सूखे मेवे को खरीदने में लोगों का उत्साह बना हुआ है। इन सूखे मेवों में कीवी, काजू, बादाम, किशमिश, खुरमानी, अंजीर, पिस्ता विशेष आकर्षण के केन्द्र बने हुए है। मेले में अलग-अलग दिनों में राजस्थान की कला एवं संस्कृति को समृद्ध बनाने वाले लोक उत्सव भी आयोजित किये जा रहे हैं।

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