थाली पर महंगाई की मार: आटे के दाम 12 साल में सबसे ज्यादा, खाने के तेल से लेकर आलू, टमाटर और दूध महंगा

उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल गेहूं की कीमतें अब तक 46 फीसदी तक बढ़ गई हैं। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपये प्रति क्विंटल है। बाजार में इसकी कीमत एमएसपी से 20 फीसदी अधिक है। इसी तरह, आटे का भाव अप्रैल में 32.38 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया था।

लगातार बढ़ रही महंगाई का असर आम आदमी की थाली पर भी पड़ रहा है। एक साल में खाद्य तेल से लेकर आलू और चायपत्ती तक की कीमतें बढ़ी हैं। गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी से आटे के दाम 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। इससे ब्रेड, बिस्कुट और आटे से बनने वाले उत्पाद भी जल्द महंगे हो जाएंगे।

उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल गेहूं की कीमतें अब तक 46 फीसदी तक बढ़ गई हैं। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपये प्रति क्विंटल है। बाजार में इसकी कीमत एमएसपी से 20 फीसदी अधिक है। इसी तरह, आटे का भाव अप्रैल में 32.38 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया था। यह जनवरी, 2010 के बाद सबसे ज्यादा है। गेहूं में तेजी से एफएमसीजी कंपनियां आने वाले समय में आटे से बनने वाले उत्पादों के दाम 15 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। मंत्रालय का कहना है कि पिछले एक साल में आम आदमी की थाली की हर चीजें महंगी हो गई हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई चिंता

जानकारों के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं का उत्पादन कम होने से आटे की कीमतों में बड़ी तेजी आई है। इसके अलावा, युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित होने से विदेशी बाजारों में भारतीय गेहूं की मांग भी ज्यादा रही। डीजल के भाव में तेजी से किराया बढ़ने के कारण भी गेहूं और आटे के भाव आसमान छू रहे हैं।

हालांकि, सरकार का कहना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन ज्यादा रहने से थोड़ी राहत मिल सकती है।

सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 11 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यह 2020-21 में अनुमानित 10.9 करोड़ टन की तुलना में ज्यादा है।

एक साल में 30 फीसदी बढ़े दाम

आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की कीमत शनिवार को बढ़कर 32.78 रुपये प्रति किलो पहुंच गई थी। यह एक साल पहले के 30 रुपये से 9.15 फीसदी ज्यादा है। 156 केंद्रों पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को पोर्ट ब्लेयर में आटे की कीमत सबसे ज्यादा 59 रुपये प्रति किलो थी, जबकि पश्चिम बंगाल में सबसे कम 22 रुपये प्रति किलो थी।

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