जयपुर शहर के आस-पास की वन भूमियों पर इको ट्यूरिजम के रूप में पॉच परियोजनाएं की जायेंगी विकसित
जयपुर । माननीय नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल के समक्ष जयपुर विकास आयुक्त रवि जैन की उपस्थिति में बुधवार को जयपुर शहर के आस-पास की वन भूमियों को ईको-ट्यूरिजम के रूप में विकसित करने के क्रम में पांच परियोजनाओं पर अजय चित्तौडा आईएफएस, उप वन संरक्षक वन्यजीव चिडियाघर जयपुर द्वारा पावर पॉइन्ट प्रजेंटेशन दिया गया।
जयपुर विकास आयुक्त रवि जैन ने बताया कि वन विभाग की वन भूमियों पर जेडीए के वित्तीय सहयोग से वन एवं वन्यजीव संरक्षण एवं विकास हेतु पांच परियोजनाओं पर बुधवार को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पावर पॉइन्ट प्रजेंटेशन दिया गया। जो निम्नानुसार हैः-
1. आमागढ आरक्षित वन में तेंदुआ संरक्षण कार्य
झालाना लेपर्ड रिजर्व में बढ रही लेपर्ड की संख्या व खो नागोरियान वनखण्ड के वनक्षेत्र के पास स्थित आमागढ व लालवेरी वन क्षेत्र 1636 हैक्टर को विकसित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसमें विभिन्न वन्यजीव जैसे लेपर्ड, जरख रेटल अन्य प्रजातियां का आवास है। उक्त वन्यजीवों का आवास को और अधिक विकसित किया जाना है, क्योंकि झालाना वनक्षेत्र में लेपर्ड का प्रेबेस ना के बराबर है उसी प्रकार इस वनक्षेत्र में भी लेपर्ड का प्रेबेस नहीं है उनके लिए प्रेबेस बढाने का कार्य जल संरक्षण, निरीक्षण पाथ, चौकी इत्यादि कार्य करवाये जायेंगे। उक्त कार्याे से वनक्षेत्र के विकसित होने के साथ साथ वन्यजीवों का आवास में विकास होगा तथा पर्यटकों के लिए भी यह क्षेत्र झालाना लेपर्ड रिजर्व से बहेत्तर विकसित होगा। कार्याे पर राशि रूपये 1080.00 लाख कार्य व्यय होगा। उक्त कार्य जेडीए के सहयोग से वन विभाग द्वारा करवाया जाकर क्षेत्र को विकसित किया जावेगा।
2. बीड़ गोविन्दपुरा बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट
बीड़ गोविन्दपुरा बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट भाग 100 हैक्टर क्षेत्र मंे फैला है। पूर्व में 90 हैक्टर के अन्तर्गत वर्ष 2017-18 व 2018-19 के अन्तर्गत 22500 पौधें उक्त क्षेत्र में वन महोत्सव के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना में रोपित किये गये। वर्तमान में 100 हैक्टर के अन्तर्गत बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट विकसित करने के लिये क्षेत्र में पक्की दीवार निर्माण, चैनलिंग फैसिंग, वृक्षारोपण व अन्य कार्यो के लिये विकसित किया जावेगा।
जिससे वनक्षेत्र के विकसित होने के साथ साथ वन्यजीवों का आवास में विकास होगाA उक्त कार्य जेडीए के सहयोग से वन विभाग द्वारा करवाया जाकर क्षेत्र को विकसित किया जावेगा। जिस पर राशि रूपये 500.00 लाख का व्यय होगा।
3. टाईगर सफारी
नाहरगढ जैविक उद्यान, जो कि नाहरगढ अभयारण्य के भाग 720 हैक्टर क्षेत्र में फैला है और आमेर पर्यटन क्षेत्र के नजदीक है। उक्त क्षेत्र में पूर्व में जूलोजिकल पार्क, लॉयन सफारी के विकसित होने से पर्यटको की संख्या में वृद्वि हो रही है। उनके द्वारा वन्यजीवों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है। नाहरगढ जैविक उद्यान में विभिन्न प्रजातियां के वन्यजीव स्वतत्र रूप से विचरण करते है तथा 285 प्रजातियों के पक्षीयों को भी निहारा जाता है। उक्त क्षेत्र अरावली पर्वत माला की पहाडियों में स्थित होने के कारण यहां का वातावरण वन्यजीवों के लिए काफी सुखद है। जिससे पार्क के वन्यजीवों की संख्या में वृद्वि हो रही है। पर्यटक भी वन क्षेत्र की हरियाली व आनन्दमय वातावरण व स्वस्थ्य वन्यजीवों को देखकर आनन्दित होते है। केन्द्रीय चिडियाघर प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत मास्टर ले आउट प्लान में टाईगर सफारी 30 हैक्टर क्षेत्र में विकसित करने के लिए स्वीकृत है। जिसको विकसित करने के लिए फैंसिंग, वाटर होल्स, गेट इत्यादि कार्य किये जावेंगे जिस पर अनुमानित राशि 453.00 लाख रूपये व्यय होगी। उक्त कार्य जेडीए द्वारा सम्पादित किये जायेंगे।
4. आद्रभूमि संवर्द्धन मुहाना
उक्त प्रस्तावित प्रोजेक्ट के अन्तर्गत वनखण्ड मुहाना जोकि नेवटा बांध के नजदीक स्थित है। उक्त क्षेत्र में नवेटा बांध का बैक वाटॅर से वॉटरलोगिंग हो गयी है। क्षेत्र के अधिकांश भाग में वर्ष भर पानी रहता है। जो कि वेटलैण्ड बर्डस के लिए अच्छा आवास बन रहा है। यहां पर वर्ष में लगभग 80 प्रजातियों के पक्षी देखे जा रहे है। कार्य योजना के अन्तर्गत प्रस्तावित कार्यो से अन्य माईग्रेटरी व रेजीडेंट बर्डस के लिए भी अच्छा आवास होने जाने पर संख्या में बढोत्तरी होगी। प्रोजेक्ट कार्यो में पीसीटी, ग्रास लैण्ड डवलपमेंट इत्यादि कार्य करवाये जायेगें। जिस पर कुल अनुमानित राशि 800-00 लाख रूपये व्यय होंगे। उक्त कार्य जेडीए के सहयोग से वन विभाग द्वारा करवाया जाकर क्षेत्र को विकसित किया जावेगा।
5. जैव विविधता गोनेर
यह प्रोजेक्ट आरक्षित वन बीड गोनेर की 107 है0 वन क्षेत्र में विकसित किया जायेगा। यह क्षेत्र रिंगरोड के नजदीक है एवं नजदीक आबादी बढती जा रही है। क्षेत्र को अतिक्रमण से प्रभावित नहीं होने देने, स्थित आवादी को स्वच्छ व शुद्व वातावरण प्रदान करने व वन्यजीवों के लिए अच्छा आवास उपलब्ध कराने के लिए उक्त प्रोजेक्ट में पौधारोपण, मृदाजल संरक्षण, चौकी इत्यादि कार्य प्रस्तावित किये है जिनपर पांच वर्षाे में राशि 610.00 लाख रू. व्यय किये जावेंगा। उक्त कार्य जेडीए के सहयोग से वन विभाग द्वारा करवाया जाकर विकसित किया जावेगा।
6. सिल्वन बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट फेज
यह प्रोजेक्ट आरक्षित वन बीड रावली, आगरा रोड़ पर स्थित 113 है0 वन क्षेत्र में सेन्ट्रल पार्क की तर्ज पर विकसित किया जायेगा। जिस पर राशि रूपये 760.00 लाख रू. व्यय किये जावेंगा। उक्त कार्य जेडीए के सहयोग से जेडीए व वन विभाग द्वारा करवाया जाकर विकसित किया जावेगा।
परियोजनाओं के विकसित होने से जल, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण में कमी आयेगी एवं जल संरक्षण को बढावा मिलेगा। साथ ही ऑक्सीजन भी विकसित होंगे।