सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियां राजनीतिक आधार नहीं योग्यता के आधार पर होनी चाहिए- पूनम भंडारी
जयपुर। राजस्थान सरकार में सरकारी वकीलों एवं लोक अभियोजकों की राजनीतिक आधार पर नियुक्तियों के मामलें में अधिवक्ता पूनम चन्द भण्डारी ने अपने अधिवक्ता डॉ टी. एन. शर्मा के जरिये मुख्य सचिव एवं विधि विभाग के प्रमुख सचिव को विधिक नोटिस भेजा है कि राजस्थान सरकार में नियुक्त किए जाने वाले अतिरिक्त महाअधिवक्ता, सरकारी वकील एवं लोक अभियोजकों की नियुक्तियां योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।
नोटिस में कहा गया है कि लंबे समय से राज्य सरकारें बिना किसी मेरिट के आधार पर नियुक्त किए जाते हैं एवं कई ऐसे लोग नियुक्त हो जाते जो कि इस पद के लायक नहीं होते जिससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इस मामले में कई बार उच्च न्यायालय ने भी गंभीर टिप्पणियां की हैं।
अधिवक्ता भण्डारी के अनुसार अगर अधिवक्ताओं का चयन मेरिट के बेसिस पर होता है तो न्याय में तेजी आयेगी एवं न्यायालय को भी सही निर्णय करने में सहायता कर मिलेगी। अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने महावीर व अन्य बनाम हरियाणा राज्य के मामले में सरकारों द्वारा राजनीतिक आधार पर अधिवक्ताओं की नियुक्ति पर चिंता जताई है और कहा है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर ना हो तथा अधिवक्ताओं की योग्यता, उनकी कानून के बारे में जानकारी तथा उनका बैकग्राउंड और इंटीग्रिटी के आधार पर नियुक्तियां होनी चाहिए।
अधिवक्ता भण्डारी ने अपने विधिक नोटिस मैं कहा है कि जब राज्य सरकार राजनीतिक आधार पर नियुक्ति करती है तो इससे प्रॉपर न्याय नहीं हो पता है न्यायालय का समय भी बर्बाद होता है और आम जनता में भी गलत मैसेज जाता है तथा मुकदमे लंबे होते हैं क्योंकि वे न्यायालय में जवाब प्रस्तुत करने एवं बहस करने के लिए बार-बार समय चाहते हैं जिससे न्यायालय का समय बर्बाद होता है और मुवक्किल को न्याय नहीं मिल पाता तथा जनता के धन का अपव्यय होता है।
वर्तमान में भी कई अधिवक्ताओं की नियुक्तियां बिना मेरिट के आधार पर की गई है जिन पर पुनर्जा के जाना चाहिए नोटिस में कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए कोई दिशा निर्देश भी नहीं है इसलिए सरकार को चाहिए कि जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं के चयन के लिए गाईड बनाई गई है वही गाइड लाइन सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए बनाई जाए।
भंडारी ने कहा कि यदि 7 दिन में सरकार ने नियुक्तियों के लिए गाइडलाइन नहीं बनाई तथा पूर्व में की गई नियुक्तियों पर पुनर्विचार नहीं किया गया राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रस्तुत की जाएगी।