भविष्य का सवाल है

भारत में छात्र काम-चलाऊ डिग्री के साथ रोजी-रोटी कमाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। क्या भारत का सपना अग्रणी देशों के लिए तकनीकी श्रमिक मुहैया कराने भर का है? ऐसा नहीं है, तो सरकार को तुरंत बुनियादी सुधार की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

भारत का भविष्य संवारने के लिहाज से इससे चिंताजनक खबर और क्या हो सकती है कि देश में एम-टेक कोर्स का आकर्षण घटता ही जा रहा है। पिछले दो शैक्षिक सत्रों में इस उच्च कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या गिर कर सिर्फ 45 हजार रह गई है। यह सात का सबसे निचला स्तर है। 2022-23 में एक लाख 30 हजार सीटें उपलब्ध थीं, लेकिन केवल 44,303 छात्रों ही दाखिला लिया। 2023-24 में उपलब्ध सीटों की संख्या एक लाख 25 हजार थी, जबकि दाखिला सिर्फ 45,047 छात्रों ने लिया। बी-टेक भी आकर्षण खो रहा था, लेकिन हाल के सत्रों में इसमें प्रवेश की स्थिति सुधरी है। 2017-18 में बी-टेक की लगभग आधी सीटें खाली रह गई थीं, लेकिन पिछले सत्र में सिर्फ 17 प्रतिशत सीटें खाली रहीं। जानकारों के मुताबिक बी-टेक और एम-टेक के लिए आकर्षण में फासले की कई वजहें हैं।

पहला तो यही है कि भारत एम-टेक के कोर्स बी-टेक के ऊपर कोई ज्यादा वैल्यू एडिशन नहीं करते। बी-टेक या एम-टेक की डिग्री लेकर बाजार में आने वाले छात्रों की तनख्वाह में ज्यादा फर्क नहीं है। इसलिए ज्यादातर छात्र बी-टेक के बाद नौकरी की तलाश में जुट जाते हैं। यह तथ्य बार-बार रेखांकित करने की आवश्यकता बनी हुई है कि भारत में ऐसे ऊंचे पाठ्यक्रमों और उद्योग जगत की जरूरतों के बीच खाई बनी हुई है। तो सवाल है कि भारत आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कैसे आगे बढ़ेगा? विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित- को तकनीक आधारित आधुनिक अर्थव्यवस्था की बुनियाद समझा जाता है।

आज टेक्नोलॉजी को उत्पादन का उतना ही महत्त्वपूर्ण पहलू समझा जा रहा है, जितना कभी मानवीय श्रम, प्राकृतिक संसाधन, पूंजी और प्रबंधन को माना जाता था। इन पहलुओं के साथ टेक्नोलॉजी उत्पादकता और परिणामस्वरूप पूंजी निर्माण में भारी योगदान कर रही है। मगर भारत में जो वातावरण है, उसके बीच छात्र काम-चलाऊ डिग्री के साथ रोजी-रोटी कमाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। क्या भारत का सपना अग्रणी देशों के लिए तकनीकी श्रमिक मुहैया कराने भर का है? अगर ऐसा नहीं है, तो सरकार को तुरंत बुनियादी सुधार की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *