जयपुर में 170 करोड़ रुपए से बनेगा प्रदेश का पहला सरकारी पीएम एकता मॉल
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में जल्द ही प्रदेश का पहला सरकारी मॉल बनने जा रहा है। इसे ‘यूनिटी मॉल’ या ‘पीएम एकता मॉल’ नाम दिया गया है। इस मॉल का निर्माण 170 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। बतााया जा रहा है कि इस मॉल के बनने से राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
उद्योग विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस यूनिटी मॉल का निर्माण टोंक रोड पर सांगानेर एयरपोर्ट के पास, तरुछाया नगर कॉलोनी के पीछे प्रस्तावित है। यह भूमि पहले रीको फिनटेक पार्क के लिए प्रस्तावित थी, लेकिन अब इसे यूनिटी मॉल परियोजना के लिए चुना गया है। इस प्रोजेक्ट (मॉल) को ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) के आधार पर बनाया जाएगा।उद्योग विभाग के मुताबिक मॉल के लिए आवश्यक 170 करोड़ रुपए की धनराशि केंद्र सरकार उपलब्ध करवा रही है। रीको इस परियोजना की कार्यकारी एजेंसी होगी। परियोजना का स्वामित्व और प्रबंधन उद्योग विभाग के तहत होगा।
स्थानीय कारीगरों के उत्पादों को मिलेगा बाजार
सूत्रों के मुताबिक इस यूनिटी मॉल के बनने से राजस्थान के कारीगरों के उत्पादों को बड़ा बाजार उपलब्ध होगा। इसमें पारंपरिक हस्तशिल्प, वस्त्र और अन्य स्थानीय उत्पादों के लिए विशेष गैलरी और आउटलेट्स रखे जा सकते हैं। बता दें कि एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के सभी जिलों के स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए सभी रेलवे स्टेशनों पर विशेष काउंटर (आउटलेट्स) खोले गए हैं। ताकि देश में रोजगार के अधिक अवसर पैदा किए जा सकें।
राजस्थान में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
सांगानेर एयरपोर्ट के पास स्थित होने के कारण यह मॉल घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का विशेष केंद्र बनेगा। यहां पर्यटकों के लिए राजस्थान की सांस्कृतिक झलक भी पेश किए जाने की योजना है। मॉल में आधुनिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, फूड कोर्ट और मल्टीप्लेक्स जैसी सुविधाएं भी विकसित किए जाने की योजना है। पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए ग्रीन बिल्डिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
परियोजना का समय और चुनौतियां
हालांकि इस मॉल के निर्माण कार्य में लगभग 5 साल का समय लगने का अनुमान है। लेकिन, टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने और अन्य अपरिहार्य कारणों से इसमें इससे अधिक समय भी लग सकता है। क्योंकि बड़ा प्रोजेक्ट होने के कारण विभिन्न विभागों की मंजूरियां लेने में देरी संभावित है।