राजस्थान: पहली बार भाजपा प्रत्याशी को बनाया मंत्री, सुरेंद्रपाल टीटी करणपुर से भाजपा के प्रत्याशी, विपक्ष ने की आलोचना
जयपुर। राजस्थान के लोकतंत्र के इतिहास में शनिवार को बड़ी घटना हुई। पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी को मंत्री पद की शपथ दिलवा दी। करणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने से चुनाव स्थगित हो गया था। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंटी टीटी को शनिवार को राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई। इसको देश का पहला मामला बताया जा रहा है।
श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए 5 जनवरी को मतदान होगा और रिजल्ट 8 जनवरी को आएगा। और सुरेंद्रपाल टीटी यहां से भाजपा के प्रत्याशी हैं। स्व. गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रूपिन्दर सिंह कुन्नर यहां से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। करणपुर विधानसभा क्षेत्र से अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रत्याशी सहित कुल 12 उम्मीदवार हैं।
भाजपा की ओर से सुरेंद्रपाल टीटी को मंत्री बनाने से कई लोग आश्चर्यचकित भी हैं। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या सुरेंद्रपाल को मंत्री पद की शपथ दिलवाकर भाजपा ने अपनी जीत को पक्का कर लिया है। बहरहाल आठ जनवरी को चुनाव नतीजे सामने आने के बाद स्थिति और साफ हो जाएगी। राजस्थान के लोकतंत्री में यह घटना इतिहास के रूप में दर्ज कर ली गई है।
प्रत्याशी को मंत्री बनाना भाजपा का अहंकार : विपक्ष
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि भाजपा का अहंकार सातवें आसमान पर है। भाजपा ने चुनाव आयोग को ठेंगा दिखाकर आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन करते हुए श्रीकरणपुर से भाजपा प्रत्याशी श्री सुरेंद्रपाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाई है। संभवतः देश में यह पहला मामला है जब चुनाव से पूर्व भाजपा ने अपने प्रत्याशी को मंत्री बनाया है, कांग्रेस इस मामले को चुनाव आयोग के संज्ञान में लाकर कार्रवाई की मांग करेगी। भाजपा भले ही मतदाताओं को प्रलोभन दे लेकिन श्रीकरणपुर की सीट कांग्रेस पार्टी बड़े अंतर से जीतेगी।
विधायक से पहले गहलोत बने थे सीएम
प्रत्याशी रहते हुए कैबिनेट मंत्री बनने वाले सुरेंद्र पाल सिंह टीटी प्रदेश के पहले व्यक्ति हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्ष 1998 में विधायक बनने से पहले ही मुख्यमंत्री बने थे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद जोधपुर की सरदारपुरा सीट से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक मानसिंह देवड़ा ने गहलोत के लिए सीट खाली करते हुए इस्तीफा दिया था। फिर गहलोत सरदारपुरा से विधायक बने। इसके बाद से लगातार वे सरदारपुरा से ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं।