भाजपा में सांसदों की छंटनी का काम शुरू

भारतीय जनता पार्टी ने अपने 303 लोकसभा सांसदों में से छंटनी का काम शुरू कर दिया है। पिछले कई महीनों से ऐसी खबरें आ रही थीं कि भाजपा बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट काटेगी। उत्तर भारत के हिंदी पट्टी राज्यों में भाजपा ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। सर्वे करने वाली एजेंसियों और जमीनी फीडबैक के हिसाब से सूची तैयार की जा रही है। चुनावी राज्यों से इसकी शुरुआत हो गई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव जीतने वाले 12 में से 10 सांसदों का इस्तीफा हो गया है। दो सांसदों के इस्तीफे भी हो जाएंगे। बुधवार को बालकनाथ कहीं दूसरी जगह थे और रेणुका सिंह मेडिकल इमरजेंसी की वजह से दिल्ली में नहीं थीं। इसलिए इन दो के इस्तीफे नहीं हुए हैं। इस्तीफा देने वालों में तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। बहरहाल, यह तय हो गया कि जिन 10 सांसदों ने इस्तीफा दिया है उनको अगली बार टिकट नहीं मिलेगी। उन्हों विधायक रहना होगा। भाजपा ने कुल 21 सांसदों को टिकट दी थी, जिसमें से 12 जीते और नौ हार गए। हारे हुए नौ सांसदों को भी टिकट मिलने की संभावना नगण्य है। तेलंगाना में मिल जाए तो नहीं कहा जा सकता है कि लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हारे हुए सांसदों को टिकट नहीं मिलेगी। इस तरह इन तीन राज्यों में मोटे तौर पर 16 सांसदों की टिकट कटना तय हो गया।

इनके अलावा और भी सांसदों की टिकट कट सकती है। भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि परफारमेंस और उम्र के साथ साथ यह भी देखा जा रहा है कि कोई नेता कितनी बार से लगातार जीत रहा है। लगातार कई बार से जीत रहे सांसदों की इस बार टिकट कट सकती है। अगले साल लोकसभा के साथ ही ओडिशा विधानसभा का चुनाव होना है, जहां से भाजपा के आठ सांसद हैं। उनमें से भी कुछ लोगों को विधानसभा का चुनाव लड़ने को कहा जा सकता है। उसके बाद तीन राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव हैं। इन तीन राज्यों में भी कुछ सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा। ताकि लोकसभा में नए चेहरों को टिकट दी जा सके। एंटी इन्कम्बैंसी कम करने और युवाओं को आगे बढ़ाने के नाम पर भाजपा बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट काटेगी। तीन राज्यों के चुनावों से यह दिखने लगा है। इसलिए उत्तर भारत की हिंदी पट्टी और महाराष्ट्र व गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों में भाजपा के लोकसभा सांसदों की चिंता बढ़ी है।

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