कैलाश मेघवाल को भाजपा ने हल्के में लिया
वयोवृद्ध नेता कैलाश मेघवाल को अनदेखा करना भाजपा को भारी पड़ सकता है क्योंकि वे राज्य में अनुसूचित जातियों का चेहरा के तौर पर पहचान रखते हैं । राज्य की जालौर टोंक से सांसद व निवाई से लेकर शाहपुरा तक अनेक सीटों से विधायक रहें हैं । भैरोसिंह शेखावत के चोटीकट चेले के तौर पर पहचान रखने वाले कैलाश की राजनीतिक जीवन यात्रा उदयपुर से युवा कांग्रेस से शुरू हुई थी । उन्होंने 1978 में जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी होकर शेखावत सरकार में उधोग राज्यमंत्री बनें थे । जनता पार्टी सरकार में शेखावत विरोधी चेहरा बनकर उभरे लेकिन जब जनता पार्टी का विसर्जन हुआ और भारतीय जनता पार्टी गठित हुई तब कैलाश को शेखावत भविष्य की राजनीति देखते हुए अपने साथ अपनी नवगठित पार्टी में ले आए ।
शेखावत की राजनीतिक सोच आगे चलकर सही साबित हुई और राज्य की भाजपा राजनीति में वे अनुसूचित जाति का जानामाना चेहरा बनकर उभरे । शेखावत ने इनका इस्तेमाल कांग्रेस के नेता बूटासिंह को पराजित करने के लिए किया । टोंक की लोकसभा सीट जब खाली हुई तब अनुसूचित जाति का बड़ा चेहरा नहीं था तब इन्हें वहां से उपचुनाव में उतारा गया । फिर निवाई से विधायक बनकर शेखावत सरकार में काबीना मंत्री बने , अगली शेखावत सरकार में गृहमंत्री रहे उसके बाद वसुंधरा राजे की दूसरी बार गठित सरकार में पहले खनन मंत्री फिर विधानसभा अध्यक्ष बने ।
इस समय कैलाश अपनी राजनीतिक पारी में पहली बार बगैर विधानसभा क्षेत्र बदले शाहपुरा से विधायक हैं क्योंकि इनका कहना है कि मैं एक दफा जहां से चुनाव लड़ता हूं वहां से दुबारा नहीं । लम्बे समय से ये वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में हैं । कैलाश का एक अन्य सिद्धान्त भी है पार्टी विद डिफरेंस , जिसके कारण ये अनेक बार विवादों में आ जातें हैं । इस कारण जब गहलोत सरकार खतरे में घिरी थी तब इन्होंने विधानसभा की कार्यवाही का अपनी पार्टी के साथ बॉयकाट नहीं किया था । इस कारण पार्टी के नेताओं के निशाने पर आए थे । मगर इनपर कोई कार्यवाही इसलिए नहीं की गई क्योंकि अगले ही दिन जब गहलोत सरकार विश्वास प्रस्ताव पारित करा रहे थे तब तीन और भाजपा विधायक सदन से गायब हो गये ।
इसीलिए भाजपा के हाथ पांव फूल गये थे जबकि कैलाश अनुसूचित जाति के व बाकी जनजाति के विधायक थे । 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने वसुंधरा राजे को अनदेखा कर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को विशेष महत्व दिया है उसे लेकर कैलाश मेघवाल बेहद ख़फ़ा है ।
ऐसे में उन्हें एक अवसर मिला जिसमें उन्होंने अर्जुन मेघवाल पर आरोप लगा दिया जिसके अगले ही दिन भाजपा ने इन्हें नोटिस थमा दिया । इस नोटिस को राजनीतिक क्षेत्र में वसुंधरा राजे के खिलाफ ही देखा जा रहा है , इनसे पहले भी भाजपा से राजे समर्थकों को पार्टी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है