चांद पर पहुंचा भारत

भारत ने इतिहास रच दिया। बुधवार को शाम छह बज कर चार मिनट पर चंद्रयान-तीन के लैंडर मॉड्यूल के चंद्रमा की सतह छूते ही भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहले देश बन गया। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतरे हैं लेकिन भारत पहला देश है, जिसका यान सुदूर दक्षिण ध्रुव पर उतरा है और चंद्रमा का अनदेखे रहस्य दुनिया को बताएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो को तीसरे प्रयास में कामयाबी मिली है। पूरी दुनिया भारत की इस कामयाबी पर बधाई दे रही है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही रूस का अंतरिक्ष यान लूना-25 चांद की सतह पर टकरा कर नष्ट हो गया था।

बहरहाल, बुधवार की शाम को इसरो के चंद्रयान-तीन मिशन का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की और नया इतिहास रच दिया। इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। भारत के लैंड करने के साथ ही इसरो ने ऐलान किया- भारत चांद पर पहुंच गया।

चंद्रयान-तीन के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट का समय लगा। चंद्रयान-तीन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर में लॉन्च किया गया था। इसके बाद इसने लैंडिंग से पहले कई अहम पड़ाव पार किए, जिसमें सबसे अहम 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होना था। बुधवार को उतरते समय लैंडर विक्रम की अंतिम टचडाउन गति उसकी सुरक्षित सीमा के भीतर थी। गौरतलब है कि शुरुआती दौर में चार इंजन चलाए गए, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था, इसलिए चंद्र सतह पर टचडाउन दो इंजनों द्वारा संचालित था।

जिस वक्त लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर उतरा, उसके ऊपर चंद्रमा की धूल का बड़ा-सा बादल छा गया था। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के साढ़े तीन घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा। इसका कारण यह है कि इसरो नहीं चाहता था कि चंद्रमा की महीन धूल कैमरों और अन्य संवेदनशील उपकरणों पर चढ़ जाए, इसलिए उसने यह सुनिश्चित करने के लिए तीन घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने का फैसला किया गया ताकि धूल लैंडर विक्रम से दूर चली जाए। इससे पहले कहा गया था कि दो घंटे में रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा।

इसरो के मुताबिक रोवर प्रज्ञान बाहर निकलने के बाद सबसे पहले अपनी सौर टेबल को आगे बढ़ाएगा और लैंडर विक्रम से जुड़े एक तार के साथ बाहर निकलेगा। जैसे ही रोवर चंद्रमा की सतह पर स्थिर हो जाएगा, तार तोड़ दिया जाएगा। इसके बाद यह अपना वैज्ञानिक मिशन शुरू करेगा।

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