इस सरकार में विधानसभा में 18 घंटे ज्यादा काम
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने हाल ही 15वीं राजस्थान विधानसभा की अवधि 14 जनवरी तक निर्धारित कर दी है। यानी इससे पहले प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न करवाने होंगे।
मौजूदा विधानसभा में कुल 8 सत्र संचालित हुए हैं। अब नई सरकार के गठन के बाद संभवत: जनवरी-फरवरी में ही सत्र बुलाया जाएगा।
अब तक चले 8 सत्रों से प्रदेश को क्या मिला, राजनीति के गुणा-भाग कैसे रहे।
सात मंत्रियों की उपस्थिति सर्वाधिक रही, जबकि 3 मंत्री सदन में कम नजर आए
सदन में जिन मंत्रियों ने मौजूद रहकर छाप छोड़ी उनमें शांति धारीवाल, लालचंद कटारिया, प्रताप सिंह, बीडी कल्ला, महेश जोशी, महेंद्र चौधरी शामिल हैं। सबसे कम मौजूदगी वाले मंत्रियों में मुरारीलाल मीणा, विश्वेंद्र सिंह और प्रमोद जैन भाया का नाम रहा।
विवाद भी: रेप मामलों पर राजस्थान को मर्दों का प्रदेश बताकर शांति धारीवाल घिरे। लाल डायरी लहराने वाले राजेंद्र गुढ़ा निलंबित हुए।
116 में से 28 मूल और 69 संशोधन विधेयक रखे गए
सरकार ने कुल 116 विधेयक पेश किए। इनमें 28 मूल, 69 संशोधन, 18 वित्त व 3 निरसन विधेयक थे। अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन व गुरुकुल विवि विधेयक वापस लेने पड़े। जबकि 14वीं विधानसभा में 147 विधेयक, 13वीं में 150 विधेयक सदन में पारित किए गए थे।
सवाल पूछने में ये आगे रहे : फूलसिंह मीणा, अमृतलाल मीणा, बिहारीलाल बिश्नोई, हरिसिंह, चंद्रकांता मेघवाल, मदन दिलावर, संतोष कुमारी, बलजीत यादव, रामनारायण मीणा ने रिकॉर्ड 500 से 550 के ऊपर तक सवाल लगाए।
ये पीछे : सुरेंद्र सिंह राठौड़, महादेव सिंह खंडेला, जौहरीलाल मीणा, नगराज मीणा, रीटा चौधरी, वीरेंद्र सिंह के सवाल सबसे कम सूचीबद्ध हुए। इन सभी के सवाल मिला लें तो भी संख्या 50 तक नहीं पहुंची।
तीन बड़ी घोषणाएं…जिनके पूरी होने का अभी इंतजार
ईआरसीपी : मौजूदा बजट में 13 हजार करोड़ रुपए की लागत से ईआरसीपी प्रोजेक्ट को शुरू करने की बात कही गई थी।
जयपुर मेट्रो : फेज 1-सी (बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर) व 1-डी (मानसरोवर से 200 फीट बाइपास पर अजमेर रोड तक) प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया था। इसके लिए 1185 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान भी किया गया था।
एक लाख भर्तियां : इसी बजट में एक लाख नौकरियों का ऐलान हुआ।
एक दिन कार्यवाही न हो तो 26 लाख रुपए व्यर्थ: विधानसभा का सालाना बजट करीब 92 करोड़ रुपए है। यानी विधानसभा पर प्रतिदिन औसतन 26 लाख रुपए का खर्च आता है। अब तक के सत्रों में औसतन प्रतिदिन 7 घंटे से ज्यादा सदन चला है। इनमें से हंगामे में जो समय खराब हुआ, उससे प्रदेश के 1 करोड़ रुपए से अधिक व्यर्थ हुए हैं।