कांग्रेस चुनाव समिति की घोषणा
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने गुरुवार को चुनाव समिति की घोषणा कर दी है। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समिति के प्रमुख हैं, इसमें सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, हरीश चौधरी जैसे नेता शामिल हैं। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि चार सालों से एक दूसरे के विरोध में खड़े इन नेताओं के बीच टिकटों को लेकर कोई विवाद नहीं होगा?
पार्टी में विद्रोह के कारण 2020 में उपमुख्यमंत्री और राज्य इकाई प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद पायलट ने राज्य में पार्टी समिति में वापसी की है। कांग्रेस महासचिव, संगठन, के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तत्काल प्रभाव से प्रदेश चुनाव समिति के गठन को मंजूरी दे दी है।” 29 सदस्यीय समिति में डोतासरा, गहलोत और पायलट के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता भंवर जितेंद्र सिंह, रघुवीर मीणा, रामेश्वर डूडी, रघु शर्मा, हरीश चौधरी, लालचंद कटारिया, रामलाल जाट और प्रमोद जैन भाया को शामिल किया गया है। राजस्थान में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए राज्य में कई जन-समर्थक योजनाएं शुरू कर रही है।
हालांकि कांग्रेस ने इन सभी नेताओं को शामिल कर यह संदेश दिया कि नेताओं के बीच विवाद खत्म हो गया है और कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी। लेकिन, खास बात यह है कि पिछले चुनावों से पहले भी ये नेता एकजुट होकर चुनाव तो लड़े थे पर मुख्यमंत्री चुनने को लेकर दिल्ली तक को मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके बाद भी जो हुआ प्रदेश के लोगों ने देखा। बगावत, बागी और निकम्मा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। मीडिया मैनेजमेंट के जरिये सीएम व पूर्व डिप्टी सीएम के विरोध में खबरें चलती रही। सोशल मीडिया पर भी समर्थक एक दूसरे की मुखालफत करने में लगे हैं। अब राजस्थान की 200 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में क्या इन नेताओं के बीच एक राय बन पाएगी या फिर बागी होकर नेता अपना प्रभाव दिखाएंगे।