भ्रष्टाचार और पानी-बिजली को लेकर भाजपा भी गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी- राजेंद्र राठौड़

जयपुर । भाजपा प्रदेश कार्यालय में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने बिजली दरों में महंगाई एवं पानी की किल्लत को लेकर प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
प्रेसवार्ता के दौरान भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा, प्रदेश मंत्री लक्ष्मीकांत भारद्वाज, सुरेश गर्ग मौजूद रहे।
कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि पूर्ववती भाजपा सरकार में जो फ्यूल सरचार्ज 18 पैसे प्रति यूनिट हुआ करता था, वह कांग्रेस सरकार ने बढाकर 60 पैसे प्रति यूनिट औसतन कर दिया। 2018 में बिजली की प्रति यूनिट दरें 5 रूपए 55 पैसे हुआ करती थी वह अब बढाकर 11 रूपए 90 पैसे कर दी गई है। राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम के 10 थर्मल व हाइडल प्लांट और 3 अन्य पावर प्लांट हैं जिनकी कैपेसिटी 8597.35 मेगावाट बिजली उत्पादन की है, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते कोयले की कमी, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर यह उत्पादन घटकर महज 3500 से 4000 मेगावाट पर आ गया। वहीं प्रदेश सरकार के गलत प्रबंधन के चलते प्रदेश में प्रति माह 5 से 7 थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाते हैं।

विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के मामले में भी प्रदेश में 17 हजार 143 मेगावाट के विद्युत संयत्र लगे होने के बावजूद इनसे पैदा होने वाली बिजली में प्रदेश की जनता को 3 हजार 326 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में उत्पादित बिजली का 23 फीसदी हिस्सा ही प्रदेश को मिल पाता है, जबकि 77 फीसदी उपयोग प्रदेश के बाहर निजी विद्युत कंपनियों के उपयोग में आ रही है।
कोयला खरीद में व्याप्त घोटाले का आरोप लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने कहा कि हाल ही में कोयला कंटेनरों में 30 प्रतिशत कोयले की चोरी पकडी गई है। जिसमें औसतन एक कंटेनर में दस लाख का कोयला होता है। प्रतिदिन 500 से 600 ट्रकों से कोयला चोरी किया जाता है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती का आरोप लगाते हुए राठौड ने कहा कि एक तरफ सरकार 23.309 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन के साथ सरप्लस बिजली होने की बात कहती है, दूसरी तरफ प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6-10 घंटे अघोषित बिजली कटौती करती है। बिजली की दरों का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि घरेलू श्रेणी की मंहगी बिजली दरों के मामले में राजस्थान देश में चौथे नंबर पर है।

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि पेयजल संकट की स्थिति प्रदेश में बदतर है 11,440 गांव में पानी के टैंकर भिजवाये गए लेकिन उनका भुगतान नहीं होने के चलते पेयजल व्यवस्था ठप्प हो गई है, प्रदेश के सैकड़ो गांवों में पेयजल व्यवस्था राम भरोसे है केन्द्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का बुरा हाल करने में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
प्रदेश के करीब डेढ करोड विद्युत उपभोक्ताओं को 17 रूपए प्रति यूनिट बिजली महंगी दी जा रही है। गहलोत सरकार में साल 2021 में 13 हजार 793 करोड तक की महंगी बिजली खरीदी गई। उसके बावजूद अन्य राज्यों के मुकाबले चालीस प्रतिशत मंहगी बिजली उद्योगों को दी जा रही है। महंगी बिजली खरीद के बाद फिर कटौती का संकट उद्योगों को झेलना पड रहा है, प्रत्येक सप्ताह में शाम सात बजे से सुबह पांच बजे तक रोटेशन के नाम पर बिजली कटौती की जा रही है।

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने पायलट की जनसंघर्ष यात्रा के दौरान की गई आरपीएससी भंग करने और रीट परीक्षा से आहत छात्रों को मुआवजा देने की मांग कांे जायज बताया। आईएएस ट्रांसफर लिस्ट में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों को पुनः उसी स्थान पर पदस्थापन करने का आरोप लगाते हुए सरकार के भ्रष्टाचार को पतन का कारण बताया। वहीं उन्होने कहा कि बिजली और पानी संकट को लेकर भाजपा प्रदेशभर में आंदोलन करेगी आगामी 17,18 व 19 मई को प्रदेश के उपखण्डों पर बिजली पानी को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किये जाऐंगे।

प्रदेश की गहलोत सरकार दो भागो में बंटी हुई है, कांग्रेस सरकार के मंत्री खुले मंच से अपनी सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बता रहे है। राहत शिविरों का जिक्र करते हुए राठौड़ ने कहा कि आचार सहिंता लगने के महज साढें चार माह पहले राहत शिविर के नाम पर सरकार अपना प्रोपेगेंडा चला रही है। राहत शिविरों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के बजाय प्रोटोकॉल भूल कर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तय करते है, कि किस नेता को भाषण बाजी के लिए कैंप में भेजना है।
राठौड़ ने कहा कि राहत शिविरों में जो गारंटी दी जा रही है वह तो बजट घोषणा में शामिल थी, जिसे 01 अप्रैल से स्वतः ही लागू हो जाना चाहिए था, मंहगाई राहत कैंप के नाम पर पहले से चल रही केन्द्र सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों की योजनाओं का पुनः पंजीकरण कराने से आमजन को सिवाय परेशानी के काई लाभ नहीं होगा। आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना जब 500 से बढाकर 750 प्रतिमाह की तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया और जब 750 से 1000 की तब इसका पुनः पंजीकरण क्यो कराया गया, ऐसे ही चिरंजीवी योजना में बीमा राशी पांच लाख से बढाकर दस लाख की गई तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया इसी तरह निःशुल्क बिजली योजना मंे कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया।

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